अंग्रेजी जाने बगैर हम अपनी भाषा को अंतरराष्ट्रीय भाषा नहीं बना सकते: डॉ मोहन कांत
रांची विश्वविद्यालय के जनजातीय एवं क्षेत्रीय भाषा संकाय में शुक्रवार को ईस्ट एंड वेस्ट यूनिवर्सिटी नीदरलैंड के पूर्व चांसलर डॉ मोहन कांत गौतम का...
रांची, प्रमुख संवाददाता। रांची विश्वविद्यालय के जनजातीय एवं क्षेत्रीय भाषा संकाय में शुक्रवार को ईस्ट एंड वेस्ट यूनिवर्सिटी नीदरलैंड के पूर्व चांसलर डॉ मोहन कांत गौतम का विशेष व्याख्यान आयोजित किया गया। विषय था अंत:संबंध भाषाओं का अतीत, वर्तमान एवं भविष्य: विश्व परिदृश्य में। डॉ गौतम ने कहा कि किसी बोली का साहित्य नहीं है, तो वह भाषा नहीं हो सकती, ऐसी बात नहीं है। हमें दूसरी भाषाओं का भी ज्ञान रखना चाहिए। अंग्रेजी भाषा को जाने बगैर हम अपनी भाषा को अंतरराष्ट्रीय भाषा नहीं बना सकते।
शोध कार्य करने के लिए प्रेरित किया
डॉ गौतम ने कहा कि दूसरे देशों में आदिवासियों की भाषा कैसे बढ़ी, इस विषय पर शोध होना चाहिए। संसार की लगभग 3000 भाषाएं आज लगभग खत्म हो गईं हैं। ऐसी स्थिति, परिस्थिति में हम अपनी भाषा को कैसे बढ़ाएं, इस दिशा में पहल होनी चाहिए। उन्होंने बताया कि आदिवासियों की भाषा में जो मिलता है, वह हिन्दी व संस्कृत में नहीं पाया जाता है। दूसरी भाषाओं की सामग्री को, जिसमें बच्चों का खेल, व्यंग्य, संवाद आदि का अनुवाद कर नई भाषा को सीखा जा सकता है। उन्होंने स्कूलों में प्राथमिक स्तर से मातृभाषा की पढ़ाई पर जोर दिया। उन्होंने शोधकर्ताओं व विद्यार्थियों को भाषाओं के अतीत, वर्तमान व भविष्य के विभिन्न पहलुओं पर शोध कार्य करने के लिए प्रेरित किया।
मौके पर डॉ गौतम से शोधकर्ताओं व विद्यार्थियों ने सवाल पूछे, जिनके जवाब उन्होंने दिए। कार्यक्रम में समन्वयक डॉ हरि उरांव, नागपुरी विभाग के अध्यक्ष डॉ उमेश नंद तिवारी, मुंडारी विभाग के अध्यक्ष नलय राय, मनय मुंडा, डॉ सविता केसरी, डॉ राम किशोर भगत, कुमारी शशि, डॉ गीता कुमारी सिंह, डॉ बीरेन्द्र कुमार महतो, डॉ रीझू नायक समेत शिक्षकगण के अलावा शोधकर्ता व छात्र मौजूद थे।
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