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अगले सत्र से तकनीकी संस्थानों की कॉमन प्रवेश परीक्षा होगी

झारखंड प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय में आयोजित दो दिवसीय संगोष्ठी का हुआ समापन रांची।...

अगले सत्र से तकनीकी संस्थानों की कॉमन प्रवेश परीक्षा होगी
हिन्दुस्तान टीम,रांचीSun, 07 Mar 2021 09:00 PM
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रांची। प्रमुख संवाददाता

झारखंड प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के अंतर्गत इंजीनियरिंग, नर्सिंग और फार्मेसी के पाठ्यक्रमों में प्रवेश के लिए कॉमन एंट्रेंस टेस्ट का आयोजन किया जाएगा। साथ ही, विश्वविद्यालय की ओर से सभी तरह परीक्षा का अधिकतम काम पेपरलेस होगा। झारखंड प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय की ओर से आयोजित दो दिवसीय सम्मेलन में राज्य के सभी तकनीकी संस्थानों की इसपर सहमति बनी। संस्थानों ने यह मुद्दा भी उठाया कि जेटीयू में उच्च तकनीकी शिक्षा विभाग की दखलअंदाजी को कम कर विश्वविद्यालय को स्वायत्तता दी जाए। साथ ही, विभाग विश्वविद्यालय के कामकाज में अड़चन न डाले।

जेटीयू कुलपति प्रो प्रदीप कुमार मिश्र ने सभी तकनीकी शिक्षण संस्थानों से आए प्रतिभागियों से सुझाव आमंत्रित किए। इसमें परीक्षा से संबंधित शिकायतें सबसे अधिक आईं। परीक्षा का आयोजन व रिजल्ट का प्रकाशन समय पर नहीं किए जाने की शिकायत की गई। यहां तक कि छात्रों को माईग्रेशन के लिए भी भटकना पड़ता है। इस पर कुलपति परीक्षा नियंत्रक राजेश प्रसाद को बुलाया। परीक्षा नियंत्रक ने कहा कि कोविड-19 के कारण परीक्षा के काम में व्यवधान आया, लेकिन अगले तीन-चार महीनों में इसे व्यवस्थित कर लिया जाएगा। कुलपति ने कहा कि अगर मैं रह गया तो दिसंबर तक विश्वविद्यालय का सारा प्रशासनिक कार्यकलाप व्यवस्थित हो जाएगा।

पैनल डिस्कशन का आयोजन हुआ:

संगोष्ठी में दूसरे दिन कुलपति की अध्यक्षता में तकनीकी और पैनल डिस्कशन का आयोजन किया गया। इसमें राज्य के विभिन्न शैक्षणिक संस्थानों के शिक्षकों ने अपने विचार व शोध प्रस्तुत किए। सर्वसम्मति से सुझाव दिया गया कि झारखंड प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय अधिनियम 2011 में विहित प्रावधानों के अनुसार तकनीकी शिक्षा के सभी पाठ्यक्रमों में प्रवेश परीक्षा की पूरी जिम्मेदारी विश्वविद्यालय में निहित है। अगले शैक्षणिक सत्र से सभी पाठयक्रमों के प्रवेश परीक्षा की जिम्मेदारी झारखंड प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय को मिले। उच्च और तकनीकी शिक्षा को आगे बढ़ाने के लिए वित्तीय अनुदान बढ़ाया जाए। बेहतर उच्च एवं तकनीकी शिक्षा के लिए छात्रों का पलायन दूसरे राज्यों में न हो इसके लिए आवश्यक सुविधाएं प्रदान की जाए।

बीसीसीएल के पूर्व सीएमडी सह विश्वविद्यालय के सलाहकार अजय कुमार सिंह ने कहा कि कोयला खनन के क्षेत्र में संभावनाओं की कोई कमी नहीं है। आनेवाले समय में करीब तीन लाख दक्ष इंजीनियरों की जरूरत कोयला खनन के क्षेत्र में है। इसलिए तकनीकी संस्थानों को खनन के क्षे़त्र में मांग के अनुसार अपने छा़त्रों को तैयार करना होगा।

रामगढ़ इंजीनियरिंग कॉलेज की प्राचार्य डॉ सरबानी राय ने कहा कि तकनीकी शिक्षा तकनीक के विकास की नींव है। बीआईटीटी के प्राचार्य अमोद ठाकुर ने कहा कि संस्थानों को अपने छात्रों को पढ़ाई के दौरान प्रोफेशनल बनाना होगा। आरवीएस कॉलेज जमशेदपुर के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ सुधीर झा ने नई शिक्षा नीति में इंजीनियरिंग शिक्षा झारखंड के संदर्भ में विस्तार से चर्चा की। बीआईटी सिंदरी के प्रो अरविंद सिंह, बीआईटीटी के अनंत कुमार, आरवीएस कॉलेज के डॉ अमरनाथ ने भी अपना शोध पत्र प्रस्तुत किए।

पैनल डिस्कशन में उच्च एवं तकनीकी शिक्षा और झारखंड प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय की कमियों पर चर्चा की गई और बदलाव के लिए सुझाव भी आए। पैनल में डॉ एसके सिंह, डॉ मोहित चट्टोपाध्याय, डॉ गंगा प्रसाद सिंह व छात्र अंशु आनंद शामिल थे। अंत में संगोष्ठी में पेपर प्रस्तुतीकरण करनेवाले सभी शिक्षकों को कुलपति प्रो प्रदीप कुमार मिश्र ने प्रमाण-पत्र प्रदान किया।

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