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खूंटी गैंगरेप:आरोपी पादरी अल्फांसो के खिलाफ पुलिस के पास हैं पुख्ता सबूत

खूंटी के सामूहिक बलात्कार कांड में पादरी अल्फांसो आईंद को फंसाये जाने के आरोप को पुलिस ने गलत बताया है और कहा कि पादरी के अपराध में शामिल होने के पुख्ता सबूत है। ईसाई मिशनरियों द्वारा खूंटी के...

 खूंटी गैंगरेप:आरोपी पादरी अल्फांसो के खिलाफ पुलिस के पास हैं पुख्ता सबूत
लाइव हिन्दुस्तान टीम,रांचीMon, 25 Jun 2018 09:52 PM
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खूंटी के सामूहिक बलात्कार कांड में पादरी अल्फांसो आईंद को फंसाये जाने के आरोप को पुलिस ने गलत बताया है और कहा कि पादरी के अपराध में शामिल होने के पुख्ता सबूत है। ईसाई मिशनरियों द्वारा खूंटी के सामूहिक बलात्कार कांड में वहां कोचांग गांव के पादरी अल्फांसो आईंद को फंसाये जाने के आरोप को पुलिस ने गलत बताया है। पुलिस ने स्पष्ट किया है कि 19 जून को पांच आदिवासी युवतियों के सामूहिक बलात्कार के इस मामले में पीड़ित लड़कियों ने मजिस्ट्रेट के समक्ष अपने बयान में पादरी को दोषी बताया है और पादरी की भूमिका के अन्य स्पष्ट प्रमाण भी उसके पास हैं।

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झारखंड पुलिस के प्रवक्ता अपर पुलिस महानिदेशक आर के मलिक ने बताया कि पुलिस ने उपलब्ध स्पष्ट प्रमाण और पीड़ित लड़कियों के बयान के आधार पर ही खूंटी के कोचांग में नृशंस तरीके से किये गये सामूहिक बलात्कार कांड में पादरी अल्फांसो आईंद समेत तीन आरोपियों की गिरफ्तारी की है।

गत मंगलवार को खूंटी में हुई सामूहिक बलात्कार की इस घटना में कम से कम सात लोगों ने पांच युवतियों का अपहरण कर उनके साथ सामूहिक बलात्कार किया था और उनके तथा उनके तीन पुरुष सहकर्मियों के साथ अप्राकृतिक दुष्कर्म भी किया था। आरोपियों ने इस पूरे नृशंस अपराध की वीडियो बनाकर उसे सोशल मीडिया पर भी इसे डाल दिया था।

उन्होंने कहा, 'पुलिस धर्म या जाति के आधार पर कोई कार्रवाई नहीं करती है, वह संविधान के दायरे में कानून के अनुसार कार्रवाई करती है और खूंटी के अड़की थानांतर्गत कोचांग में हुई सामूहिक बलात्कार के कांड में भी पुलिस ने कानून सम्मत ही कार्रवाई की है।

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यह पूछे जाने पर कि ईसाई मिशनरी पुलिस पर जानबूझ कर पादरी को फंसाने का आरोप लगा रही है, तो मलिक ने कहा, ''यह आरोप पूरी तरह झूठ और बेबुनियाद है। क्योंकि पुलिस के पास प्रमाण हैं कि पादरी अल्फांसो ने ही कोचांग के मिशनरी स्कूल में नुक्कड़ नाटक दल को बुलाया था और फिर जब अपराधी वहां पहुंच कर नुक्कड़ नाटक दल का हथियारों के बल पर अपहरण करने लगे तो पादरी ने अपनी नन को उन्हें छोड़ने को कहा और नुक्कड़ नाटक दल की आदिवासी लड़कियों को उनके साथ दो घंटे के लिए जाने को कहा। मलिक ने कहा, ''यह बहुत ही शर्म की बात है और इंसानियत पर धब्बा है कि जब युवतियां खुद को बचाने के लिए पादरी के सामने गिड़गिड़ाने लगीं तो उसने उनकी मदद नहीं की और उल्टे उन्हें अपराधियों के साथ जाने की सलाह दी और कहा कि अपराधी उन्हें दो घंटे में छोड़ देंगे।

उन्होंने दावा किया, 'चार घंटे बाद जब बलात्कारी नुक्कड़ नाटक कर्मियों को मिशन छोड़ गये तो पादरी अल्फांसो ने उन्हें पुलिस के पास न जाने की सलाह दी और चुप रहने को कहा। मलिक ने बताया कि घटना के दूसरे दिन बीस जून को पादरी अल्फांसो खूंटी जाकर युवतियों से मिला और उनसे मामला आगे न बढ़ाने को कहा। उनसे यह भी कहा कि यदि वे पुलिस से शिकायत करेंगी तो उनके परिजनों की जान को भी खतरा हो सकता है।

मलिक ने कहा, ''जब अपराधी आर सी मिशन स्कूल से युवतियों को हथियार के बल पर बंधक बनाकर अपने साथ जंगल ले गये तभी पादरी को इसकी सूचना पुलिस को देनी चाहिए थी जो उसने नहीं दी। पादरी का अपराध के पूर्व और उसके बाद का आचरण अपने आप में इस पूरे प्रकरण में उसके तथा मिशन के शामिल होने का स्पष्ट प्रमाण है। साक्ष्य अधिनियम में यह अपराध के मामले में बड़ा साक्ष्य माना जाता है।

उन्होंने कहा, ''पीड़ित युवतियों, युवकों और गिरफ्तार दो अपराधियों ने भी मजिस्ट्रेट के समक्ष अपराध प्रक्रिया संहिता की धारा 164 में दर्ज कराये गये अपने बयान में पादरी को इस पूरे अपराध में पूरी तरह संलिप्त बताया है। ऐसे में सर्वोच्च न्यायालय के आदेश के अनुसार पीड़ित युवतियों का 164 का बयान ही अन्य अपराधियों के साथ पादरी के खिलाफ कार्रवाई के लिए पर्याप्त है। उन्होंने कहा कि पुलिस के पास तो पादरी और मिशन स्कूल तथा उसके कर्मचारियों के खिलाफ इस वीभत्स कांड में संलिप्त होने के अनेक पुख्ता सबूत हैं।
 

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