झारखंड के मजदूरों को राज्य व दूसरे राज्यों में रोजगार उपब्लध कराने के लिए श्रम विभाग और लेबरनेट सर्विसेज इंडिया प्राइवेट लिमिटेड के बीच श्रम भवन डोरंडा में गुरुवार को एमओयू किया गया। लेबरनेट श्रमिकों और उद्योगों के बीच ब्रिज का काम करेगा। लेबरनेट के पास रोजगार मांगने वाले श्रमिकों का उनके कौशल के आधार पर डाटा रहेगा। साथ ही कहां किस उद्योग को कितने श्रमिकों की जरूरत है इसकी जानकारी भी रहेगी। लेबरनेट संस्थागत तरीके से श्रमिकों को कानूनी प्रावधानों को सुनिश्चित कराते हुए रोजगार मुहैया करायेगा। न्यूनतम मजदूरी, आवास और यात्रा भत्ता, स्वास्थ्य सुविधा, बच्चों के लिए शिक्षा, दुर्घटना बीमा, आपातकाल में सुरक्षित नेटवर्क में लेबरनेट की भूमिका रहेगी।
एमओयू के दौरान मौजूद रहे श्रम आयुक्त आरएन यादव ने कहा कि मजदूर राज्य से बाहर जाने से पहले समाधान पोर्टल पर पंजीकरण जरूर करा लें। पंजीयन के बाद उन्हें हरा या लाल कार्ड मिलेगा। उसे लेकर ही दूसरे स्थानों पर जायें। इससे उन्हें सरकार द्वारा संचालित योजनाओं का लाभ मिल सकेगा। उन्होंने कहा कि इस समझौते से सामाजिक और आर्थिक रूप से हाशिए पर पड़े श्रमिकों के लिए आजीविका और नौकरी का सृजन संस्थागत तरीके से हो सकेगा।
फिया फाउंडेशन के राज्य समन्वयक जॉनसन टोपनो ने कहा कि लेबरनेट के साथ गैर वित्त पोषित समझौता किया गया है। यह संस्था वंचित आबादी के लिए स्थायी आजीविका के स्रोतों का सृजन करने में योगदान करने में सक्षम और प्रतिबद्ध है। इस समझौते के तहत मजदूरों को रोजगार के अवसर, लेबर मोबिलाइजेशन, भर्ती, प्लेसमेंट आसान होगा। साथ ही कार्य स्थल पर मजदूरों को किसी तरह की परेशानी होने पर राज्य या राज्यों की सरकारों के साथ तत्काल समन्वय किया जा सकेगा। संस्था श्रम अधिकार सुनिश्चित करने में भी भूमिका निभायेगी।
उन्होंने बताया कि राज्य सरकार के साथ हुए एमओयू के तहत झारखंड के प्रवासी कामगारों रोजगार उपल्बध कराने का काम लेबरनेट के माध्यम से किया जायेगा। तकनीकी सहायता के लिए चेंज एलायंस प्राइवेट लिमिटेड और पॉलिसी एंड डेवलपमेंट एडवाइजरी ग्रुप (पीडीएजी) के साथ साझेदारी होगी। फिया फाउंडेशन माइग्रेशन सेंटर (आरएमसी) द्वारा कौशल श्रेणी के अनुसार श्रमिकों का चयन और सहायता में भूमिका निभायेगा। इस दौरान झारखंड राज्य श्रम संस्थान के निदेशक उमेश प्रसाद, लेबरनेट के सीओओ राम कोलावेणु, फिया फाउंडेशन के स्टेट मैनेजर जॉनसन टोपनो, स्टेट माइग्रेंट कंट्रोल रूम हेल्पडेस्क लीड शिखा मौजूद रहे।
पंचायत स्तर नेटवर्क : मजदूरों को रोजगार मुहैया कराने के लिए पंचायत से लेकर जिला और राज्य मुख्यालय तक नेटवर्क तैयार किया जाएगा।
एमओयू से मजदूरों को यह लाभ होगा :
-श्रमिकों को वेतन और मिलने वाला लाभ मिलेगा
-श्रम कानूनों के तहत चिकित्सा, स्वास्थ्य देखभाल और आवास
-आवास और कार्य स्थल पर कोविड 19 प्रोटोकॉल का पालन होगा
-साफ सुथरा परिवेश, पेयजल
-मजदूरों के बच्चों को नर्सरी, प्राइमरी स्कूल सुविधायें और क्रेच
-मजदूरों के नवजात बच्चों की देखरेख के लिए आंगनवाड़ियों की व्यवस्था
11 लाख प्रवासी मजदूर लौटे :
कोविड कंट्रोल रूम के आंकड़ों के अनुसार लॉकडाउन के दौरान करीब 11 लाख प्रवासी श्रमिक झारखंड लौटे हैं। अब तक चार लाख श्रमिकों का स्किल मैपिंग किया गया है। इसमें दैनिक मजदूर 25.23 प्रतिशत, बिल्डिंग निर्माण के 24.74, मैकेनिक व टेक्नीकल 22.31, टेक्सटाइल 19.83, स्मॉल स्केल इंडस्ट्री 2.23, ड्राइवर 1.40, सेवा और सुपरवाइजर 1.63, कृषि से जुड़े 2.63 प्रतिशत श्रमिक हैं।