जमाबंदी वाली जमीन को छोड़कर सीयूजे कैंपस का निर्माण कराएगा प्रशासन
सेंट्रल यूनिवर्सिटी झारखंड के लिए जमीन अधिग्रहण के मुद्दे पर कई विवाद सामने आ रहे हैं। पहले तो एक जमीन के तीन दावेदार मिले, अब पूरी जमीन के दस्तावेज...
रांची। प्रमुख संवाददाता
सेंट्रल यूनिवर्सिटी झारखंड के लिए जमीन अधिग्रहण के मुद्दे पर कई विवाद सामने आ रहे हैं। पहले तो एक जमीन के तीन दावेदार मिले, अब पूरी जमीन के दस्तावेज को देखने पर जमाबंदी की बातें सामने आ रही हैं। जानकारी के अनुसार, जिस जमीन पर सेंट्रल यूनिवर्सिटी बन रही है, वहां 13 एकड़ जमीन ऐसी मिली है, जिसकी वर्षों पहले जमाबंदी हो चुकी है। अब प्रशासन जमाबंदी की गयी 13 एकड़ जमीन को छोड़ कर शेष पर निर्माण कार्य शुरू कराने की तैयारी कर रहा है।
जमाबंदी की जमीन को छोड़ बाकी जमीन के दस्तावेज जिला भू-अर्जन कार्यालय को भेज दिये गये हैं। 500 एकड़ भूमि का अधिग्रहण किया जाना है। इसमें 139 एकड़ भूमि रैयती है। शेष जमीन गैरमजरुआ है और अधिकतर पर अवैध कब्जा है। इधर, उच्च शिक्षा विभाग ने जिला प्रशासन से पूरी जमीन का आकलन कर दस्तावेज भेजने को कहा है ताकि उचित मुआवजा दिया जा सके। विभाग द्वारा जानकारी मांगे जाने के बाद जिला प्रशासन ने जमीन के आकलन की प्रक्रिया शुरू कर दी है।
सीओ को दिशा-निर्देश दे दिया गया है
सीओ को दिशा-निर्देश दे दिया गया है कि 13 एकड़ जमीन को छोड़ कर शेष जमीन से संबंधित रिपोर्ट तैयार करें। इस बारे में अपर समाहर्ता राजेश बरवार ने बताया कि जमीन के रैयतों को भी मुआवजा दिये जाने से पहले सारे दस्तावेज की गहनता से जांच करने को कहा गया है।
क्या था विवाद
झारखंड केंद्रीय विश्वविद्यालय के लिए सरकार ने जमीन का अधिग्रहण किया और विश्वविद्यालय शुरू भी हो गया, लेकिन वहां के कई रैयतों को अब तक मुआवजा नहीं मिल पाया। इसको लेकर ग्रामीणों ने विरोध किया। इसके बाद वहां विश्वविद्यालय तक जाने वाला पहुंच पथ का मामला फंस गया।
कुल 500 एकड़ जमीन का अधिग्रहण किया जाना है
इस योजना के लिए 500 एकड़ जमीन का अधिग्रहण किया गया था। इनमें 139 एकड़ रैयती जमीन है। शेष 361 एकड़ जमीन गैरमजरुआ है। बताया जाता है कि जिला भू-अर्जन कार्यालय ने पहुंच पथ के लिए 40 करोड़ की मांग विभाग से की है।