Terrorist Ammar Yashar Rejoins Hizb ut-Tahrir After 10 Years in Jail जेल से छूटने के बाद आतंकी गतिविधियों में शामिल हो गया था याशर, Ranchi Hindi News - Hindustan
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जेल से छूटने के बाद आतंकी गतिविधियों में शामिल हो गया था याशर

मार्च 2014 में दिल्ली पुलिस ने हिरासत में लिया था, मई 2014 में हुई थी गिरफ्तारी, इंडियन मुजाहिदीन से जुड़ा था अम्मार याशर, बाद में हिज्ब उत तहरीर में

Newswrap हिन्दुस्तान, रांचीFri, 2 May 2025 08:08 PM
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जेल से छूटने के बाद आतंकी गतिविधियों में शामिल हो गया था याशर

रांची, विशेष संवाददाता। झारखंड में हिज्ब उत तहरीर के संदिग्ध आतंकी अम्मार याशर दस साल जोधपुर के जेल में रहा। मई 2024 में पूरे दस साल जेल में रहने के बाद वह छूटा था। इसके बाद उसने फिर से आतंकी संगठन के साथ जुड़कर जिहाद व देश में खिलाफत स्थापित करने के उदेश्य से हिज्ब उत तहरीर ज्वाइन किया। एटीएस ने धनबाद से गिरफ्तार आरोपी गुलफाम हसन, अयान जावेद, मो शहजाद और शबनम परवीन की निशानदेही पर अम्मार याशर को गिरफ्तार किया था। एटीएस ने शुक्रवार को उसे जेल भेज दिया। अब उसे रिमांड पर लेकर पूछताछ की जाएगी। शाहिनबाग से पहली बार पकड़ाया, फिर राजस्थान एटीएस ने भेजा जेल साल 2013 में इंडियन मुजाहिदीन की गतिविधियां देशभर में चल रही थीं।

पटना के गांधी मैदान ब्लास्ट के बाद देशभर में फैले इंडियन मुजाहिदीन के नेटवर्क पर दबिश डाले की शुरुआत हुई। तब मार्च 2014 में पहली बार अम्मार याशर एजेंसियों के हत्थे चढ़ा था। दिल्ली पुलिस के स्पेशल सेल ने अम्मार याशर को शाहिनबाग से हिरासत में लिया था। लेकिन तब स्थानीय लोगों के द्वारा जोरदार विरोध व राजनीतिक दबाव में उसे छोड़ दिया गया था। मई 2014 में अम्मार की गिरफ्तारी शेरघाटी से राजस्थान एटीएस ने की थी। धनबाद निवासी अम्मार याशर तब जयपुर में इंजीनियरिंग की पढ़ाई करता था, इसी दौरान वह इंडियन मुजाहिदीन के नेताओं के संपर्क में आकर प्रतिबंधित संस्था में शामिल हो गया था। जयपुर के एसओजी, लालकोटी और जोधपुर के प्रतापनगर थाने में उसके खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई थी। इन मामलों में वह पूरे दस साल जेल में रहा। इसके बाद मई 2024 में कोर्ट ने उसे जमानत दी थी। जमानत पर छूटने के बाद वह इंडियन मुजाहिदीन छोड़कर हिज्ब उत तहरीर में शामिल हो गया था। आयान जावेद के साथ था नियमित संपर्क, दस्तावेज भी मिले एटीएस को जानकारी मिली है कि गिरफ्तार आयान जावेद के साथ अम्मार याशर का नियमित संपर्क था। आयान की निशानदेही पर ही याशर का नाम सामने आया था। गिरफ्तारी के बाद अम्मार याशर के मोबाइल से प्रतिबंधित संगठन से संबंधित दस्तावेज मिले हैं। एटीएस अब इस लिंक के आधार पर हिज्ब उत तहरीर के बड़े हैंडलर्स तक पहुंचने की जुगत में है।

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