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स्ट्रोक में शुरुआती चार घंटे के अंदर इलाज होने से बच सकती है जान : डॉ उज्जवल राय

ब्रेन स्ट्रोक आने पर शुरुआती चार घंटों के अंदर में यदि इलाज शुरू हो जाए तो मरीज के ठीक होने की संभावना अधिक होती है। स्ट्रोक जिसे आम भाषा में लकवा...

स्ट्रोक में शुरुआती चार घंटे के अंदर इलाज होने से बच सकती है जान : डॉ उज्जवल राय
हिन्दुस्तान टीम,रांचीThu, 28 Oct 2021 09:50 PM
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रांची। संवाददाता

ब्रेन स्ट्रोक आने पर शुरुआती चार घंटों के अंदर में यदि इलाज शुरू हो जाए तो मरीज के ठीक होने की संभावना अधिक होती है। स्ट्रोक जिसे आम भाषा में लकवा या पक्षाघात भी कहते हैं। यह एक घातक रोग है, जिसके इलाज में देरी मरीज के लिए जानलेवा हो सकती है। वरीय न्यूरोलॉजिस्ट डॉ उज्जवल राय ने इस बारे में विस्तार से जानकारी दी। उन्होंने बताया कि ब्रेन स्ट्रोक के दो प्रकार होते हैं-इश्केमिक और हैमरेजिक। प्रथम प्रकार के स्ट्रोक में मस्तिष्क में रक्त की कमी होता है, जिसे इश्केमिक स्ट्रोक कहते हैं। वहीं दूसरा लकवा अत्यधिक रक्त प्रवाह के कारण होता है, जिसे हैमरेजिक स्ट्रोक कहते हैं। उन्होंने बताया कि अगर शुरुआती चार घंटे में अस्पताल पहुंचकर समय पर सही दवाईयां और इंजेक्शन मरीज को पड़ जाए तो मरीज की जान बचायी जा सकती है।

डॉ उज्जवल राय ने स्पष्ट किया कि स्ट्रोक एक मेडिकल इमरजेंसी है। स्ट्रोक के लक्षण होने पर तुरंत मरीज को नजदीकी अस्पताल में ले जाना चाहिए। जहां मस्तिष्क का सीटी स्कैन या एमआरआई कराकर स्ट्रोक के प्रकार को सुनिश्चित करना चाहिए, क्योंकि इश्केमिक स्ट्रोक एवं हैमेरेजिक स्ट्रोक पूरी तरह अलग हैं। यदि रोगी का स्ट्रोक इश्केमिक प्रकार का है तो ऐसे में थ्रोम्बोलाईसिस विधि द्वारा मस्तिष्क में रक्त के प्रवाह को सुचारू किया जाता है। इस विधि के द्वारा मरीज की नसों में खून के थक्के को इंजेक्शन से खत्म किये जाते हैं। इस इंजेक्शन का उपयोग केवल शुरुआती चार घंटों में ही किया जा सकता है। उन्होंने बताया कि थ्रोम्बोलाईसिस प्रक्रिया में एलटीप्लेश नामक दवा का उपयोग किया जाता है, जो सरकारी अस्पतालों में सरकार के आदेशानुसार मुफ्त में उपलब्ध है।

स्ट्रोक के मुख्य लक्षण

- अचानक एक तरफ हाथ या पैर का काम न करना,

- चलने में परेशानी होना

-अचानक चेहरे पर टेढ़ापन आ जाना

-बोली समझने या खाने में कठिनाई होना

- एक का दो दिखाई देना

-अत्यधिक चक्कर आना

-अचानक सिर दर्द या बेहोश हो जाना आदि

डॉ उज्जवल राय ने समझाया कि मधुमेह, रक्तचाप, मोटापा, धूम्रपान, मदिरा का सेवन, दिल की बीमारी रक्त में होमोसिष्टन या हीमाग्लोबिन की अत्यधिक मात्रा होना, गर्दन पर चोट लगना, शरीर में पानी की कमी होना, हृदय के वाल्व बदलना, गर्दन की नशों मे कोलेस्ट्रॉल का अधिक होना एवं आनुवंशिक कारणों से भी स्ट्रोक हो सकता है। डॉ उज्जवल राय ने बताया कि मरीज के रक्तचाप व मधुमेह को नियंत्रित रखा जाए एवं शराब व धूम्रपान को छोड़ दिया जाए तो लकवा होने के खतरे कम हो जाते हैं।

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