सच्चे गुरु के बताए मार्ग से ही मिलती है परमात्मा की अनुभूति : स्वामी गंगाधर
मुरहू के ऋषिकेश आश्रम में आयोजित विशेष सत्संग कार्यक्रम में स्वामी गंगाधर जी महाराज ने भक्ति और साधना के माध्यम से महादेव की प्राप्ति का महत्व बताया। उन्होंने बताया कि संतों के ज्ञान के बिना सांसारिक...

मुरहू, प्रतिनिधि। भक्ति और साधना से ही मानव परमपिता महादेव को प्राप्त कर सकता है। यह संदेश रविवार को मुरहू प्रखंड के मलियादा स्थित ऋषिकेश आश्रम में आयोजित विशेष सत्संग कार्यक्रम में स्वामी गंगाधर जी महाराज ने दिए। उन्होंने कहा कि महादेव को प्राप्त करने के अनेक मार्ग हो सकते हैं, लेकिन सच्चे गुरु द्वारा दिखाया गया शास्त्रसम्मत मार्ग ही मोक्षदायक होता है। इसी मार्ग पर चलकर अनेक संत-महात्माओं ने परमात्मा का साक्षात्कार किया। अपने प्रवचन में स्वामी जी ने वराहोपनिषद के प्रसंग को उद्धृत करते हुए भगवान विष्णु के वराह अवतार की कथा सुनाई। उन्होंने बताया कि हिरण्याक्ष नामक राक्षस ने पृथ्वी को समुद्र में डुबा दिया था, तब भगवान विष्णु ने वराह रूप में अवतरित होकर उसका वध किया और पृथ्वी को पुनः स्थिर किया।
स्वामी जी ने पंच विषयों- रूप, रस, गंध, स्पर्श और शब्द, के प्रति मोह को सांसारिक बंधन की जड़ बताया। उन्होंने उदाहरण स्वरूप कहा कि मृग शब्द के लिए, मछली रस के लिए, भौंरा गंध के लिए, पतंगा प्रकाश (रूप) के लिए और हाथी स्पर्श के लिए अपने प्राण गंवा देता है। किंतु मनुष्य में ये सभी विषय प्रबल होते हैं। अतः संतों के ज्ञान के बिना इन विषयों का त्याग संभव नहीं। सिद्धार्थ-आम्रपाली कथा से भक्ति का महत्व बताया: स्वामी जी ने भगवान बुद्ध के पूर्व जीवन के सिद्धार्थ और आम्रपाली की कथा सुनाते हुए कहा कि आम्रपाली जैसे भोग विलास में रहने वाली नारी भी एक सिद्ध पुरुष के सत्संग से भक्ति मार्ग पर चल पड़ी और बुद्ध की शिष्या बन गई। उन्होंने मन को धान के बिचड़े जैसा बताते हुए कहा कि इसे परमात्मा रूपी खेत में लगाकर ही सुख, शांति और आनंद पाया जा सकता है। अन्य संतों ने भी किया भक्ति की महिमा का वर्णन: सत्संग में स्वामी लक्ष्मण जी महाराज ने कहा कि भक्ति के बिना मनुष्य पशु के समान होता है। जीवन का उद्धार केवल भक्ति से संभव है। मुरलीधर बाबा, दिगंबर बाबा, गोपाल बाबा आदि ने भी ध्यान, भजन और साधना की आवश्यकता पर बल दिया। श्रद्धालुओं की रही बड़ी भागीदारी: सत्संग में डॉ. डीएन तिवारी, संजय सत्संगी, मुचीराय मुंडा, जगमोहन पुर्ती, देवमन फुर्ती, सुरेश पंडित, सुबोध कुमार, रामहरि साव, हरि मुंडा, सूरजमल प्रसाद सहित अनेक श्रद्धालु उपस्थित थे। कार्यक्रम में शांति पुरी आश्रम मुरहू और महर्षि मेंही आश्रम मलियादा के संयोजन से सावन माह के उपलक्ष्य में विशेष आयोजन किए गए।
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