
सत्संगति इंसान के जीवन को निखारती है : विज्ञान देव
संक्षेप: रांची में जय स्वर्वेद कथा एवं ध्यान साधना सत्र का आयोजन हुआ। संत विज्ञान देव ने अपने प्रवचन में जीवन का असली मकसद लोककल्याण और आत्मजागरण बताया। उन्होंने युवाओं को प्रेरित करते हुए कहा कि वे...
रांची, वरीय संवाददाता। जय स्वर्वेद कथा एवं ध्यान साधना सत्र का शुक्रवार को कार्निवाल बैंक्वेट हॉल में आयोजन हुआ। इसमें विहंगम योग के संत विज्ञान देव का आगमन हुआ। उनके दिव्य प्रवचन और ध्यान साधना ने सैकड़ों श्रद्धालुओं को आत्मिक शांति और जीवन के नए दर्शन से परिचित कराया। संत प्रवर जी ने अपने प्रवचन में कहा कि सत्संगति हमारे जीवन को निखारती है। मानव जीवन का उद्देश्य केवल शरीर की पुष्टि और इन्द्रियों की तृप्ति तक सीमित नहीं है। जीवन का असली मकसद है लोककल्याण, आत्मजागरण और ईश्वर-साक्षात्कार। उन्होंने समझाया कि जीवन की सभी जटिलताओं की जड़ मन में छिपी होती है।

यदि मन साध लिया जाए तो जीवन स्वयं सरल हो जाता है। अपने प्रवचन में उन्होंने विहंगम योग के प्रणेता अनन्त सद्गुरु सदाफलदेव जी महाराज की तपस्या और साधना का उल्लेख करते हुए कहा कि उनकी साधना का ही परिणाम है कि मानवता को स्वर्वेद जैसा अमूल्य महाशास्त्र प्राप्त हुआ। संत प्रवर जी ने बताया कि स्वर्वेद चेतन प्रकाश है, जो अज्ञान और अंधकार को मिटाकर आत्मा को परमात्मा से जोड़ देता है। सभा में उपस्थित श्रद्धालुओं को संत प्रवर जी ने विहंगम योग की साधना कराई। साधना सत्र में हर साधक ने अनुभव किया कि मानो वर्षों से सुप्त आत्मविश्वास और आत्मचेतना अचानक जाग उठी हो। महाराज जी ने कहा साधना खुद से खुद की दूरी मिटाने का मार्ग है। जब इंसान खुद से जुड़ता है, तभी वह परमात्मा से भी जुड़ता है। युवाओं को मिला प्रेरणादायी संदेश संत विज्ञान देव जी महाराज ने विशेष रूप से युवाओं को संबोधित करते हुए कहा जिसमें वायु के समान वेग है, उमंग है, उत्साह है, वही युवा है। जो परिस्थितियों का दास नहीं बल्कि स्वामी है, वही सच्चा युवा है। उन्होंने युवाओं से लक्ष्य पर अडिग रहने, निराश न होने और समाज व राष्ट्रहित में सक्रिय भूमिका निभाने का आह्वान किया। इस अवसर पर अनेक श्रद्धालु उपस्थित थे।

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