रांची। संवाददाता
नए साल का स्वागत लोगों ने अपने-अपने अंदाज में किया। कुछ ने नाच-गाकर तो कुछ ने पटाखे जलाकर नए साल का स्वागत किया। हालांकि, कुछ लोगों ने इन पैसों को बचाकर गरीबों को खाद्य पदार्थ और कपड़े बांटकर जरूरतमंदों के चेहरे मुस्कान लाने की कोशिश की।
समाजसेवी संगठनों की तरफ से गरीब बस्तियों, आनाथ आश्रम, वृद्धाश्रम में नए साल पर छोटे-छोटे कार्यक्रम किए गए। इस दौरान बेघर लोगों को कंबल, कपड़े और मिठाईयां देकर उनके चेहरे मुस्कान लाने की कोशिश की। गरीबों और अनाथ बच्चों ने लोगों से मिले उपहार और मिठाईयों को दिल से स्वीकर किया और कहा कि समाज के कुछ लोगों की वजह से ही उनका पर्व-त्योहार भी खुशियों में बदल जाता है।
सामाजिक संस्था शारदा फाउंडेशन की ओर से आंचल शिशु आश्रम के बच्चों के लिए गर्म कपड़े, कंबल और मिठाईयां बांटी गई। यहां बच्चों से मिलने की इजाजत किसी को नहीं मिली, इसलिए संस्था के लोगों ने आश्रम की संचालिका चन्द्रमती देवी को सारी चीजें भेंट कीं। संस्था के राजीव रंजन और आशुतोष द्विवेदी ने कहा कि हमलोग कोशिश करते हैं कि हर खुशी के मौके पर उन लोगों के बीच पहुंच सकें, जो सुविधाओं से दूर हैं। गरीब और असहाय के बीच पहुंचकर उनके साथ खुशियां बाटनां ही मन को आनंदित करता है। हरमू रोड स्थित शिवगंज में राजू अग्रवाल के परिवार ने बस्ती के लोगों के बीच पहुंचकर कंबल, महिलाओं को साड़ी और बच्चों के बीच कपड़े बांटे। लोगों को खाना खिलाया। सेवी ट्रस्ट की ओर से भी सड़क किनारे गरीबों के बीच नए साल के अवसर पर मिठाईयां बांटी गईं।
क्या कहते हैं लोग :
ठंड में हमें लोगों ने कंबल और कपड़े दिए। काफी अच्छा लगता है, जब लोग मदद करते हैं। वैसे तो हमारी मदद के लिए बहुत कम ही लोग आते हैं।
- जमंती देवी
कोई हमें नहीं पूछता। समाज में कुछ लोग अच्छे हैं, जो हमारी मदद के लिए चले आते हैं। दो वक्त का भोजन नहीं मिलता है। ऐसे में लोग खाने और कपड़े दे जाते हैं, तो खुशी मिलती है।
- सुशीला देवी
नया साल कैसे मनाएंगे। हमारे पास तो खाने के लिए भी पैसे नहीं होते। ये लोग हर पर्व-त्योहार में आते हैं और हमें कपड़े और मिठाईयां दे जाते हैं, तभी हमारा त्योहार मनता है।
- महावीर कुमार
हमारे लिए तो नया साल तभी होता है, जब कुछ लोग यहां आकर हमें और दूसरे बच्चों के लिए कुछ देते हैं। कंबल और नए कपड़े के साथ कुछ मिठाइयां भी मिली हैं। बच्चे इसे पाकर काफी खुश हैं।
- रोहित