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शाह ब्रदर्स की माइनिंग लीज रद्द

झारखंड सरकार ने चाईबासा में शाह ब्रदर्स की माइनिंग लीज को रद्द कर दिया है। लीज रद्द करने की जानकारी शुक्रवार को महाधिवक्ता ने हाईकोर्ट को दी। उन्होंने कोर्ट को बताया कि अब कंपनी की अवमानना याचिका पर...

शाह ब्रदर्स की माइनिंग लीज रद्द
हिन्दुस्तान टीम,रांचीSat, 05 Jan 2019 01:58 AM
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झारखंड सरकार ने चाईबासा में शाह ब्रदर्स की माइनिंग लीज को रद्द कर दिया है। लीज रद्द करने की जानकारी शुक्रवार को महाधिवक्ता ने हाईकोर्ट को दी। उन्होंने कोर्ट को बताया कि अब कंपनी की अवमानना याचिका पर सुनवाई का कोई औचित्य नहीं है। जबकि कंपनी ने इसका विरोध किया। इसके बाद कोर्ट ने सुनवाई स्थगित कर दी। हाईकोर्ट में शुक्रवार को शाह ब्रदर्स की याचिका पर सुनवाई हो रही थी। सरकार ने चाईबासा के करमपदा में 233 हेक्टेयर आयरन ओर की माइनिंग लीज दी थी।

झारखंड सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर शाह ब्रदर्स के खनन पर रोक लगा दी थी। करीब 250 करोड़ रुपए जुर्माना लगाया था और माइनिंग चालान देने से भी मना कर दिया था। सुप्रीम कोर्ट ने वैसे सभी खदानों को खनन को अवैध बताया था जो पर्यावरण क्लियरेंस और अन्य मापदंडों को पूरा नहीं कर रहे थे।

एकलपीठ ने याचिका खारिज की थी

झारखंड सरकार के इस निर्णय को शाह ब्रदर्स ने झारखंड हाईकोर्ट की एकलपीठ में चुनौती दी थी। अदालत से सेल की जिन शर्तों पर परिवहन चालान दिया गया था, उसी शर्त पर चालान जारी करने का आग्रह किया गया। एकलपीठ ने याचिका यह कहते हुए खारिज कर दी, कि शाह ब्रदर्स आयरन ओर की माइंस का इस्तेमाल व्यापार के लिए करता है। जबकि सेल अपने प्लांटों के लिए। इस कारण शाह ब्रदर्स को यह छूट नहीं दी जा सकती।

खंडपीठ ने किस्तों में राशि जमा करने की छूट दी: एकलपीठ के आदेश को शाह ब्रदर्स ने खंडपीठ में चुनौती दी। खंडपीठ ने सुनवाई करते हुए किस्तों में राशि जमा करने की छूट प्रदान की। दो किस्त के बाद सरकार को परिवहन चालान जारी करने का आदेश हाईकोर्ट ने दिया। इस आदेश के बाद शाह ब्रदर्स ने दो किस्तों में 90 करोड़ रुपए जमा कर दिए, लेकिन सरकार ने चालान जारी नहीं किया।

अवमानना याचिका दायर: चालान जारी नहीं होने पर शाह ब्रदर्स ने अवमानना याचिका दायर की। शुक्रवार को इसी याचिका पर सुनवाई के दौरान सरकार ने बताया कि शाह ब्रदर्स का माइनिंग लीज ही रद्द कर दिया गया है। इस कारण अब इस पर सुनवाई की जरूरत नहीं है।

शाह ब्रदर्स को किस्तों में राशि जमा करने की छूट मिलने के बाद राजनीतिक प्रतिक्रियाएं भी हुई थीं। सरकार के मंत्री सरयू राय ने महाधिवक्ता पर भी सवाल खड़े किए थे और आरोप लगाया था कि उन्होंने सरकार का पक्ष सही तरीके से नहीं रखा। विपक्षी दलों ने भी महाधिवक्ता पर आरोप लगाए थें। बार कौंसिल ने भी सरयू राय पर कोर्ट में मामला लंबित रहने के दौरान इस तरह का बयान देने के लिए माफी मांगने को कहा था।

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