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भारतीय संस्कृति की संरक्षक है संस्कृत

संस्कृत भाषा भारतीय संस्कृति की वाहक है। अगर युवा पीढ़ी इस भाषा को अपनाए, तो उनमें नैतिक मूल्यों की स्थापना होगी, साथ ही देश का भी विकास होगा। ये विचार उभरकर आए संस्कृत भारती की ओर से आयोजित जनपद...

हिन्दुस्तान टीम रांचीMon, 29 Jan 2018 01:06 AM
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भारतीय संस्कृति की संरक्षक है संस्कृत

संस्कृत भाषा भारतीय संस्कृति की वाहक है। अगर युवा पीढ़ी इस भाषा को अपनाए, तो उनमें नैतिक मूल्यों की स्थापना होगी, साथ ही देश का भी विकास होगा। ये विचार उभरकर आए संस्कृत भारती की ओर से आयोजित जनपद संस्कृत सम्मेलन में। रविवारक को अपर बाजार स्थित आर्य समाज मंदिर में आयोजित यह सम्मेलन तीन सत्रों में चला। कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में जैक बोर्ड के अध्यक्ष प्रो अरविंद कुमार सिंह मौजूद थे।प्रो अरविंद कुमार सिंह ने कहा कि संस्कृत भाषा सर्वाधिक व्यापक और संपन्न है। उन्होंने संस्कृत के कई उद्धरणों का जिक्र करते हुए कहा कि भारतीय संस्कृति की रक्षा संस्कृत भाषा से ही संभव है। इस क्रम में उन्होंने- मनसा, वाचा, कर्मणा जैसे सूत्र वाक्य को जीवन में उपयोगी बनाने का आग्रह किया।प्रांत मंत्री दीपचंद कश्यप ने कहा कि संस्कृत भाषा सभी भाषाओं की जननी है। अगर युवा इसे अपनाएं, नैतिक चरित्र उठेगा और देश का भी विकास होगा।दूसरे सत्र में समूह गान और श्लोक वाचन प्रतियोगिता का आयोजन किया गया। इसमें विभिन्न स्कूलों के छात्र-छात्राओं ने हिस्सा लिया। समूह गान प्रतियोगिता में- आदित्य प्रसाद जालान सरस्वती विद्या मंदिर- पहले, आर्य समाज मंदिर- दूसरे स्थान पर रहा। श्लोक वाचन स्पर्द्धा प्रथम वर्ग में- सुब्बू परवीन और स्नेहा कुमारी- पहले और निराली कुमारी व दीपांशु कुमार- दूसरे स्थान पर रहे। श्लोक वाचन स्पर्द्धा द्वितीय वर्ग में- ज्योति कुमारी व विद्या कुमारी- पहले, शिखा कुमारी व दिव्या रानी- दूसरे स्थान पर रहीं। सभी विजेताओं को प्रशस्ति पत्र और संस्कृत की किताबें दी गईं।समापन सत्र में मुख्य अतिथि के रूप में वैदिक संस्थान झारखंड के स्वामी ओंकारानंद, आर्ट ऑफ लिविंग की साध्वी उषा, पूर्व आईएएस सुबोध नाथ ठाकुर, एसपी वर्मा मौजूद थे। स्वामी ओंकारानंद ने फल की लक्ष्य निर्धारित करने और फल का इंतजार किए बिना आगे बढ़ने का संदेश दिया। उन्होंने कहा कि भारत की सभ्यता और संस्कृति की रक्षा के लिए संस्कृत आवश्यक है। मौके पर नाटक- भारत माता, का भी मंचन किया गया। कार्यक्रम में सूरज कुमार, गोपाल कृष्ण दूबे, अभिषेक आर्य, आयुष कुमार, शैल बाला,डॉ मीना शुक्ला, डॉ नीलिमा पाठक, डॉ पंपा सेन विश्वास, डॉ शैलेश मिश्र समेत अन्य मौजूद थे। संचालन रमेश कुमार और अरुण कुमार ने किया।

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