औषधीय पौधों का ज्ञान घर-घर पहुंचाने का संकल्प
घर-घर में औषधीय पौधों का ज्ञान पहुंचाने के संकल्प के साथ आरोग्य भारती की दो दिवसीय राष्ट्रीय कार्यशाला का रविवार को समापन हो...

रांची। हिन्दुस्तान ब्यूरो
घर-घर में औषधीय पौधों का ज्ञान पहुंचाने के संकल्प के साथ आरोग्य भारती की दो दिवसीय राष्ट्रीय कार्यशाला का रविवार को समापन हो गया। ओकविले एकेडमी परिसर, नामकुम में कार्यशाला में 14 राज्यों के प्रतिनिधियों ने भाग लिया।
संगोष्ठी में मुख्य वक्ता आरोग्य भारती के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ अशोक पंडित ने कहा कि औषधीय पौधों के संबंध में भारत के पारंपरिक ज्ञान को आमजन तक पहुंचाने की आवश्यकता है। इस दिशा में आरोग्य भारती देशभर में प्रकल्प विकसित करेगी और शोध एवं प्रशिक्षण को बढ़ावा देगी। डॉ पंडित ने कहा कि अब तो पूरा विश्व भारत की पारंपरिक चिकित्सा पद्धति एवं ज्ञान को स्वीकार कर रहा है। कोरोना काल से अनुभव लेकर विश्व स्वास्थ्य संगठन ने भारत में औषधीय पौधों से संबंधित एक अंतरराष्ट्रीय केंद्र स्थापित करने की घोषणा की है।
मुख्य अतिथि रांची के सांसद संजय सेठ ने कहा कि आरोग्य भारती भारत के हजारों वर्ष पुरानी स्वास्थ्य परम्परा से लोगों को अवगत करवा रही है। कोरोना में विश्व ने सोचा कि भारत में करोड़ो लोग मरेंगे, लेकिन औषधीय पौधों के काढ़े ने प्राणरक्षा की। आरोग्य भारती के राष्ट्रीय संगठन सचिव डॉ अशोक कुमार वार्ष्णेय ने कहा कि कार्यशाला में 14 राज्यों के प्रतिनिधि भाग ले रहे हैं। व्यवसायीकरण और शहरीकरण ने औषधीय पौधों के महत्व को कम कर दिया था, लेकिन आज इनका महत्व समझ में आ रहा है।
स्वागत भाषण में प्रान्त संरक्षक प्रवीण प्रभाकर ने कहा कि आरोग्य भारती भारतीय स्वास्थ्य चिंतन के आधार पर स्वास्थ्य जागरुकता का कार्य करती है। झारखंड में 11 जिलों में कार्य हो रहा है। धन्यवाद ज्ञापन प्रान्त अध्यक्ष डॉ रश्मि एवं संचालन आरती वर्मा ने किया। संगोष्ठी में स्थानीय नागरिकों ने भी भागीदारी की। इस अवसर पर पवन मंत्री, विजय घोष, प्रो संदीप कुमार, अजय चट्टोराज, रमेश पुष्कर, डॉ देवेंद्र नाथ तिवारी, विजय कुमार, डॉ राजीव, डॉ विवेक शर्मा, डॉ संजय सिंह, डॉ शम्भू सिंह, अनिल महतो, राजेश शर्मा, आशुतोष द्विवेदी आदि उपस्थित थे।
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आरोग्य भारती का कार्य सराहनीय : अर्जुन मुंडा
मुख्य अतिथि के रूप में केंद्रीय मंत्री अर्जुन मुंडा को उपस्थित रहना था, लेकिन व्यक्तिगत कारणों से वह जमशेदपुर से नहीं आ पाए। उन्होंने अपने वीडियो संदेश में कहा कि औषधीय पौधों पर और ज्यादा खोज एवं शोध की आवश्यकता है। आरोग्य भारती ने इस महत्वपूर्ण कार्य को हाथ मे लिया है और पारंपरिक ज्ञान से देश भर के लोगों को परिचित करवा रही है। उन्होंने कहा कि झारखंड में वन्य संपदा भरी पड़ी है। झारखंड में भी जनजातीय चिकित्सा पद्धति प्रचलित है।
( फोटो -विश्वजीत जी के पास )
