बीते साल के कड़वे अनुभवों को पीछे छोड़ नए साल का लोगों ने एक सकारात्मक उम्मीद के साथ स्वागत किया है। समाज में कुछ ऐसे भी लोग हैं, जो सिर्फ खुद के लिए नहीं सोचते, उनके अंदर ऐसे लोगों के लिए कुछ करने का जज्बा है, जो कोरोना और दूसरे कारणों से कठिन दौर से गुजर रहे हैं। उनकी परेशानियों से वास्ता तो हर किसी का होता है, लेकिन उनके बारे में सोचने की फुर्सत कुछ ही लोग निकाल पाते हैं। नए साल में हम कुछ ऐसे ही लोगों से मिले, जो जरूरमंदों के लिए हमेशा कुछ करने को प्रयायरत रहते हैं...
बेघर के लिए घर बनाने का संकल्प
राजधानी में पिछले 30 साल से मानवता की सेवा में जुटे डुंगरमल अग्रवाल इस साल खुले आसमान के नीचे रात बिताने वाले बेसहारा और लाचार लोगों के लिए अपना घर का निर्माण कराना चाहते हैं। जिला प्रशासन से अनुमति मिलने पर असहाय और बुजुर्गों के लिए अपना घर बनाने की प्रक्रिया शुरू कर दी जाएगी। उन्होंने बताया कि यह मेरा संकल्प है। अपना घर में सड़कों पर भटक रहे लोगों को रखा जाएगा और उनके लिए हर स्तर की अच्छी सुविधा उपलब्ध कराई जाएगी। बरियातू रोड में पंचवटी गार्डेन में रहने वाले डुंगरमल अग्रवाल समाजिक और धार्मिक संस्था श्रीकृष्ण प्रणामी सेवाधाम ट्रस्ट के अध्यक्ष हैं।
70 साल की आयु में भी मानवता की सेवा का जज्बा कायम रखने वाले डुंगरमल की संस्था अब तक जरूरतमंद परिवार की 551 कन्याओं का पाणिग्रहण संस्कार करा चुकी है। संस्था की ओर से किए जाने वाले समाजिक काम में इनकी सबसे ज्यादा भागीदारी होती है। डुंगरमल असाध्य रोग से पीड़ित मरीजों के इलाज के लिए आर्थिक सहयोग, अभावग्रस्त परिवार के बीच वस्त्र, कंबल, मच्छरदानी का वितरण करते रहते हैं। लॉक डाउन में इनके नेतृत्व में संस्था के साधकों ने दो माह तक शहर में सूखा अनाज, भोजन, मास्क, सेनिटाइजर का वितरण किया था।
नौकरी गंवाने वालों को स्वरोजागार से जोड़ेंगे
लॉक डाउन में जो लोग बेरोजगार हुए हैं, उनके जीवन को फिर से पटरी पर लाने का संकल्प लिया है। मैं कई ऐसे लोगों से मिला हूं, जिनकी जिंदगी कोरोना संक्रमण की मार से तबाह हो गई है। ऐसे लोगों को फिर से रोजगार देने का इस साल प्रयास रहेगा। कुछ संगठनों व निजी कंपनियों से बात चल रही है। रोड मैप तैयार कर लिया गया है। सभी ने लॉक डाउन से प्रभावित लोगों की मदद करने की बात कही है। जिनकी नौकरी गई है, उनके घर की महिलाओं को भी स्वरोजगार से जोड़ने का प्रयास किया जाएगा, ताकि घर की महिलाएं भी पैसे कमा सकें और भविष्य में इस तरह की विकट परिस्थिति न आए।
- राणा चक्रवर्ती, मार्केटिंग और उत्पादन निदेशक, एचईसी
रिसर्च को बढ़ावा देना मेरी प्राथमिकता
एक वैज्ञानिक के रूप में मेरा काम बेहतर और उन्नत चीजों का निर्माण और विकास करना है। बीएयू को एक साल में उन्नत संस्थान के रूप में विकसित करने की कोशिश रहेगी। यहां के विद्यार्थी ज्यादा-से-ज्यादा रिसर्च कार्य कर सकें, ऐसा माहौल विकसित करना है। इसके लिए गुणवत्तापूर्ण पढ़ाई का माहौल और सुविधाएं देनी हैं। शिक्षकों को दशकों पुराने नोट्स के बदले नई तकनीक, रिसर्च और जर्नल को पढ़ाने के लिए इस्तेमाल कराना मेरी प्राथमिकताएं हैं। साथ ही एक साल के अंदर बीएयू को प्लास्टिक फ्री जोन बनाने का भी हमारा संकल्प है।
डॉ ओंकार नाथ सिंह, कुलपति सह वैज्ञानिक, बीएयू
ओलंपिक को लक्ष्य मानकर तैयारी करनी है
किसी भी खिलाड़ी का सपना होता है कि वह ओलंपिक में पदक जीते। मेरा भी है। मेरा 2021 का संकल्प ओलंपिक की तैयारी पर फोकस है। 2022 में जापान में ओलंपिक होना है। झारखंड की पहली महिला हॉकी ओलंपियन होने के नाते मुझसे काफी उम्मीदें भी हैं। कोरोना के कारण बीते वर्ष तैयारी पर काफी विपरीत प्रभाव पड़ा। इस वर्ष अपनी फिटनेस पर काम करना है और बस कड़ी ट्रेनिंग हासिल करनी है। 2016 रियो ओलंपिक में पदक के नजदीक पहुंचकर हम हारे थे, इस बार पदक भारत के खाते में लाना है और देश व राज्य का मान बढ़ाना है।
निक्की प्रधान, अंतरराष्ट्रीय हॉकी खिलाड़ी
ग्रेजुएशन में श्रेष्ठ प्रदर्शन पर फोकस
12वीं में इस साल जेवीएम श्यामली स्कूल से साइंस विषय से टॉप करने के बाद इस पोजिशन को बरकरार रखना ही फिलहाल मेरी प्राथमिकता है। मैंने आगे की पढ़ाई के लिए इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस, बेंगलुरु में नामांकन लिया है, लेकिन अभी तक कोरोना के कारण कैंपस नहीं पहुंचा हूं। वहां जाने के बाद माहौल में खुद को ढालना मेरे लिए चुनौती होगी। मैं फीजिक्स विषय में ग्रेजुएशन कर रहा हूं। आगे चलकर शिक्षा के क्षेत्र में विकास के लिए अपना योगदान देना चाहता हूं। हर वर्ग तक शिक्षा पहुंचे, यह मेरी सोच है। पढ़ाई पूरी करने के बाद मैं रांची के साथ अन्य जिलों के लोगों के लिए शिक्षा के क्षेत्र में बहुत कुछ करना चाहता हूं।
सोमादीप साहा, छात्र