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बीआईटी के सुपर कंप्यूटर से जुड़ेंगे शोधकर्ता व छात्र

शोधकर्ताओं को अपना शोध को पूरा करने के लिए अब दूसरे राज्य व देश पर निर्भर नहीं रहना पड़ेगा। बीआईटी मेसरा में करीब दो करोड़ का हाईपरफोरमेंस कंप्यूटिंग (सुपर कंप्यूटर) लगाया गया है। इसके सहारे बीआईटी...

बीआईटी के सुपर कंप्यूटर से जुड़ेंगे शोधकर्ता व छात्र
हिन्दुस्तान टीम,रांचीWed, 20 Dec 2017 11:11 PM
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शोधकर्ताओं को अपना शोध को पूरा करने के लिए अब दूसरे राज्य व देश पर निर्भर नहीं रहना पड़ेगा। बीआईटी मेसरा में करीब दो करोड़ का हाईपरफोरमेंस कंप्यूटिंग (सुपर कंप्यूटर) लगाया गया है। इसके सहारे बीआईटी अपनों के साथ-साथ दूसरे शोधकर्ताओं को भी पब्लिक डोमेन से शोध करने की अनुमति देगा। इस सुपर कंप्यूटर की मदद से तेज गति से गणना व सटीक शोध किए जा सकेंगे। रिसर्च एंड डेवलपमेंट विभाग के कंप्यूटर साइंस एंड इंजीनियरिंग की वैज्ञानिक डॉ वंदना भट्टाचार्य ने बताया इस कंप्यूटर से बीआईटी के सभी विभागों को जोड़ा जाएगा। पहले यहां परम कंप्यूटर से काम होता था, जो सिंगल प्रोसेसर था। नया सुपर कंप्यूटर मल्टी प्रोसेसर युक्त है। इसकी गति एक सेकेंड में 35 लाख गणना करने की है।

आवेदन करने पर शोधकर्ता कर सकेंगे उपयोग

देश का कोई भी शोधकर्ता या छात्र सुपर कंप्यूटर का इस्तेमाल घर बैठे ही कर सकेगा। उन्हें नियमानुसार बीआईटी में कुलपति व संस्थान से अनुमति लेकर आवेदन करना होगा। इसमें किस क्षेत्र में कंप्यूटर का उपयोग करने का जिक्र व अन्य जानकारियों को देना जरूरी है। प्रो डॉ केके सेनापति ने बताया, ऑनलाइन लॉगइन को लेकर पूरी सतर्कता बरती गई है और सुरक्षा को लेकर हर पहलुओं को देखा गया है ताकि इसका गलत उपयोग ना हो।

कई कंपनियों को होगा फायदा

सुपर कंप्यूटर से एचईसी, सेल, मेकन व अन्य इंजीनियरिंग कंपनियां जुड़ सकेंगी। डॉ भट्टाचार्य ने बताया कि किसी भी कंपनी को आग्रह करने पर ऑनलाइन लॉगइन करने की अनुमति दी जाएगी। इससे वे अपने शोध कार्य को काफी कम समय में पूरा कर सकेंगे।

कैसे करता है काम

सुपर कंप्यूटर की क्षमता 12 टेराबाइट है। मल्टी प्रोसेसर होने के कारण बड़े डाटाबेस को सेकेंडो में स्टोर किया जा सकेगा। सबसे ज्यादा फायदा फार्मेसी, स्पेस इंजीनियरिंग एंड रॉकेटिंग, कंप्यूटर साइंस व बायोटेक विभाग के छात्रों को शोध करने में होगा। स्पेस एंड इंजीनियरिंग के रॉकेट की लॉचिंग में सुपर कंप्यूटर सटीक साबित हो सकता है। साथ ही बायोटेक में जहां डीएनए के सैंपल की मैचिंग में हफ्ते लग जाते हैं, वो अब घंटो में हो जाएगा।

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