मिथिलांचल वासियों ने की टेमी दागने की प्रथा
रांची में मिथिलांचल वासियों ने मधुश्रावणी व्रत का समापन किया। नवविवाहिताएं ने पति की दीर्घायु की कामना के साथ व्रत संपन्न किया। पूजा के दौरान नवविवाहिताएं एक ही साड़ी का इस्तेमाल करती हैं और नमक का...
रांची, वरीय संवाददाता। राजधानी में मिथिलांचल वासियों ने लोकपर्व मधुश्रावणी के व्रत का पालन किया। 25 जुलाई से शुरू चौदह दिनी व्रत का समापन बुधवार को हुआ। सोलह शृंगार कर नवविवाहिताओं ने पति की दीर्घायु की कामना से व्रत संपन्न कीं। विषहरा की मधुर गीतों के बीच विविध अनुष्ठानों के साथ टेमी दागने की प्रथा हुई। पारंपरिक रूप से होती है पूजा
मधुश्रावणी पूजन के लिए निवविवाहिताएं घर पर मिट्टी के नाग-नागिन, हाथी, गौरी और शिव की प्रतिमा बनाती हैं। प्रसाद में मौसमी फल, मिठाई और तरह-तरह के फूल चढ़ाए जाते हैं। आठवें और नौवें दिन प्रसाद के रूप में खीर, मिठाई का भोग लगाया जाता है। प्रतिदिन संध्या में नवविवाहिताएं आरती, सुहागन गीत, कोहबर गीत गाकर भोले शंकर को प्रसन्न करतीं हैं। पति की लंबी उम्र की कामना के साथ-साथ यह व्रत धैर्य और त्याग का प्रतीक है। अनुष्ठान के दौरान नवविवाहिता एक ही साड़ी का इस्तेमाल करती हैं। नमक का सेवन नहीं करती हैं।
पूजा के दौरान महिलाएं चौदह दिन तक भगवान शंकर, माता पार्वती और नाग देवता की कथा सुनतीं हैं। कथा महिला पुरोहित करती हैं। मान्यता है कि माता पार्वती ने मधुश्रावणी व्रत की थी। बासी फूल, ससुराल की पूजा सामग्री, दूध, लावा व अन्य सामग्रियों के साथ नाग देवता और विषहरा की पूजा होती है।
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