आदिवासी बनाम कुड़मी को लेकर सियासत गर्म, पूजा बाद दिखेगा असर
कुड़मियों की मांग के बाद आदिवासी संगठन सड़क में उतर चुके, 12, 14 और 17 अक्तूबर को आदिवासी संगठनों का क्रमवार आंदोलन

रांची, वरीय संवाददाता। कुड़मी-महतो समुदाय के द्वारा अनुसूचित जनजाति सूची में शामिल करने की मांग के बाद झारखंड की सियासत गर्म हो गई है। कुड़मी बनाम आदिवासी के मामले से कई राजनीतिक दलों ने किनारा कर चुप्पी भी साध ली है, जबकि कई पार्टी से हटकर खुलकर सामने भी आ चुके हैं। पूजा के बाद कुड़मियों के आंदोलन व आदिवासियों के आंदोलन का असर दिखना शुरू हो जाएगा, क्योंकि कुड़मियों की मांग के बाद आदिवासी संगठन सड़क में उतर चुके हैं और कई उतरने की तैयारी में हैं, जिसका आगाज भगवान बिरसा मुंडा की धरती खूंटी से हो रहा है। 14 अक्तूबर को आदिवासी समन्वय समिति व संयुक्त आदिवासी संगठनों के द्वारा कुड़मियों की मांग के विरोध में प्रतिकार आक्रोश रैली बुलाई गई है।
जिसकी अगुवाई पड़हा राजा मंगल सिंह मुंडा सहित अन्य कर रहे हैं। दूसरी ओर संयुक्त आदिवासी संगठनों के द्वारा रांची में 12 अक्तूबर को मोरहाबादी मैदान में आदिवासी महाजुटान बुलाया गया है। पूर्व में इस कार्यक्रम को पांच अक्तूबर को किए जाने की योजना थी, लेकिन किसी कारणवश तिथि में परिवर्तन कर दिया गया। इस महाजुटान का नेतृत्व केंद्रीय सरना समिति के अध्यक्ष अजय तिर्की और आदिवासी क्षेत्र सुरक्षा परिषद के अध्यक्ष ग्लैडसन डुंगडुंग कर रहे हैं। तीसरे चरण में 17 अक्तूबर को धुर्वा प्रभात तारा मैदान में आदिवासी बचाओ मोर्चा के द्वारा आदिवासी हुंकार महारैली बुलाई गई है। जिसका नेतृत्व पूर्व शिक्षामंत्री गीताश्री उरांव, पूर्व मंत्री देवकुमार धान के अलावा लक्ष्मीनारायण मुंडा और प्रेमशाही मुंडा कर रहे हैं। इसके अलावा डीएसपीएमयू, रांची कॉलेज छात्रसंघ, आदिवासी छात्रसंघ, आदिवासी मूलवासी मंच सभी ने आदिवासी बचाव संघर्ष समिति गठित कर आंदोलन की घोषणा करते हुए कुड़मियों की मांग के खिलाफ अपना विरोध भी दर्ज करवा चुके हैं।
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