छत्तीसगढ़ में नन की गिरफ्तारी का विरोध, निकाला शांतिपूर्ण मार्च
रांची में ऑल चर्च कमेटी के आह्वान पर शांतिपूर्ण विरोध मार्च निकाला गया। यह मार्च छत्तीसगढ़ में दो नन और तीन आदिवासी युवकों की गिरफ्तारी के खिलाफ था। प्रदर्शनकारियों ने ईसाईयों पर हमलों, फर्जी एफआईआर...

रांची, वरीय संवाददाता। ऑल चर्च कमेटी, रांची के आह्वान पर रविवार को रांची में शांतिपूर्ण विरोध मार्च निकाला गया। यह मार्च छत्तीसगढ़ के दुर्ग में दो नन और उनके साथ नौकरी पर जाने वाले तीन आदिवासी युवक-युवतियों पर धर्मपरिवर्तन के आरोप लगाकर गिरफ्तार व प्रताड़ित करने के विरोध में निकाला गया। इस दौरान छत्तीसगढ़ में ईसाईयों पर हमले, बेवजह प्रताड़ित करने, फर्जी एफआईआर करने वाले पुलिसकर्मियों पर कार्रवाई करने, मामले की निष्पक्ष जांच सहित अन्य मांग की गई। जीईएल चर्च में प्रार्थना के साथ शुरुआत शांतिपूर्ण विरोध मार्च की शुरुआत मेन रोड स्थित जीईएल चर्च में प्रार्थना के साथ शुरू हुई।
इसमें सभी चर्च कलीसिया के धर्म अगुवा शामिल हुए। यहां से मार्च राजभवन पहुंचकर सभा में तब्दील हो गई। विरोध-मार्च का संचालन कुलदीप तिर्की, गोल्डन विलुंग और सुनिल खलखों ने किया। मौके पर झारखंड राज्य अल्पसंख्यक आयोग के उपाध्यक्ष ज्योति सिंह मथारु, अटल खेस, रेव्ह यीशु नासरी मिंज के अलावा ऑल इंडिया क्रिश्चियन माइनोरिटी फ्रंट के महासचिव प्रवीण कच्छप, झारखंड क्रिश्चियन यूथ एसोसिएशन के संरक्षक अलबिन लकड़ा, सुजीत कुजूर सहित हजारों की संख्या में लोग मौजूद थे। :: किसने क्या कहा :: भारत विभिन्न भाषा-भाषियों का देश है। संविधान की रचना में इसी विविधता को ध्यान में रखकर सभी को बराबरी का दर्जा मिला है। अल्पसंख्यकों को विशेष अधिकार भी सुरक्षित है, हम सभी संविधान की रक्षा करना चाहते हैं। -विंसेंट आईंद, आर्च बिशप, कैथोलिक चर्च कुछ दिनों पहले देश के विभिन्न क्षेत्रों में मसीहियों पर अत्याचार किया गया। धर्मांतरण का झूठा आरोप लगाकार मामले दर्ज किए गए। हम शांतिप्रिय लोग हैं और सरकार को अपना दर्द सुना रहे हैं। - मॉर्शल केरकेट्टा, मॉडरेटर, जीईएल चर्च हम लोगों ने अपनी मांगों को बैनर, पोस्टर, तख्तियों के माध्यम से प्रदर्शित किया है। हम सरकार के समक्ष अपनी बात रख रहे हैं। जब कभी भी अत्याचार होगा, हम ऐसी एकजुटता दिखाएंगे। - बीबी बास्के, बिशप, चर्च ऑफ नॉर्थ इंडिया छोटानागपुर डायसिस सत्ता किसी व्यक्ति के शोषण के लिए नहीं होती है, बल्कि सेवा करने के लिए होती है। हम मसीही देश से प्यार करते हैं। धार्मिक स्वतंत्रता हमारा अधिकार है। जहां अशांति है, वहां सरकार शांति बहाल करे। -निस्तार कुजूर, बिशप, एनडब्ल्यू जीईएल चर्च ईसाई धर्मावलंबी हमेशा से गांव-घर में अपनी सेवा देते आए हैं। छत्तीसगढ़ की घटना क्षमा योग्य नहीं है। दक्षिणपंथी ताकतों की नियत हमेशा से ईसाई धर्मावलंबियों को परेशान करने की रही है। यह संवैधानिक अधिकारों का उल्लंघन है। - शिल्पी नेहा तिर्की, कृषि मंत्री
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