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हेमंत सोरने के पूर्व ओएसडी गोपालजी तिवारी के खिलाफ पीई दर्ज

मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के आदेश पर एसीबी में दर्ज हुई पीईमुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के पूर्व ओएसडी गोपालजी तिवारी के खिलाफ एसीबी ने प्रीलिमिनरी इंक्वायरी(पीई) दर्ज की...

हेमंत सोरने के पूर्व ओएसडी गोपालजी तिवारी के खिलाफ पीई दर्ज
हिन्दुस्तान टीम,रांचीTue, 28 Jul 2020 09:52 PM
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मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के पूर्व ओएसडी गोपालजी तिवारी के खिलाफ एसीबी ने प्रीलिमिनरी इंक्वायरी(पीई) दर्ज की है। गोपालजी तिवारी पर पद का दुरुपयोग करते हुए अवैध संपत्ति अर्जित करने का आरोप है। अधिवक्ता राजीव कुमार ने गोपालजी तिवारी के संपत्ति व कथित गलत कारनामों की जानकारी मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को दी थी। इसी शिकायत के आधार पर सोमवार की देर रात मंत्रिमंडल निगरानी विभाग ने एसीबी को पीई दर्ज करने का आदेश दिया था। इसके बाद देर रात गोपालजी तिवारी के खिलाफ पीई दर्ज कर ली गई। गौरतलब है कि बीते हफ्ते गोपालजी तिवारी ने सीएम के ओएसडी पद से इस्तीफा दे दिया था। वर्तमान में वह पथ निर्माण विभाग में संयुक्त सचिव हैं।

क्या है आरोप?

मुख्यमंत्री को सौंपे गए शिकायत में पद का दुरुपयोग और 21.55 करोड़ रुपये के निवेश की जानकारी दी गई थी। बताया गया था कि अवैध तरीके से कमाई गई संपत्ति का निवेश गोपालजी तिवारी ने अपने बेटे के नाम पर किया है। इसके लिए मेसर्स किंग्सले डेवलपर नाम की कंपनी खोली गई है। कंपनी के दो पार्टनर जयदेव चटर्जी और आशा श्री गार्डन में रहने वाले निलाभ हैं। निलाभ के पिता का नाम जी तिवारी यानी गोपालजी तिवारी है। सेल डीड में गोपालजी तिवारी का नाम छिपाकर सिर्फ जी तिवारी अंकित किया गया है। अधिवक्ता राजीव कुमार ने गोपालजी तिवारी के बेटे की पार्टनरशिप वाली कंपनी में 9.05 करोड़ की लागत से 136 डिसमिल जमीन खरीदने की जानकारी दी थी। वहीं, गोपालजी तिवारी के नाम पर 12.5 करोड़ में गुरुग्राम में फ्लैट खरीदने की जानकारी भी दी गई थी।

राज्य प्रशासनिक सेवा के अधिकारी हैं गोपालजी तिवारी :

गोपालजी तिवारी राज्य प्रशासनिक सेवा के अधिकारी हैं। हेमंत सोरेन के मुख्यमंत्रित्व के पहले कार्याकाल में भी वह उनके ओएसडी रहे थे। दिसंबर 2020 में हेमंत सोरेन के मुख्यमंत्री बनने के बाद भी उन्हें मुख्यमंत्री का ओएसडी बनाया गया था। लेकिन भ्रष्टाचार संबंधी शिकायतों के मिलने के बाद उन्हें किनारे कर दिया गया था। ऐसे में गोपालजी तिवारी अवकाश पर चले गए थे। बाद में उन्होंने ओएसडी पद से इस्तिफा दे दिया था। पथ निर्माण विभाग में भी उनके काम में कटौती की गई है।

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