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पौष मेला: बांग्ला लोक धुनों और फ्यूजन संगीत पर झूमे श्रोता

मेकॉन की सांस्कृतिक इकाई मजलिस की ओर से आयोजित ‘पौष मेला का दूसरा दिन बंगाल के लोकधुनों के नाम रहा। जी बांग्ला के प्रसिद्ध कलाकार तीर्थो ने बंगाल के लोकधुनों और फ्यूजन संगीत की ऐसी युगलबंदी की...

पौष मेला: बांग्ला लोक धुनों और फ्यूजन संगीत पर झूमे श्रोता
हिन्दुस्तान टीम,रांचीTue, 19 Dec 2017 01:22 AM
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मेकॉन की सांस्कृतिक इकाई मजलिस की ओर से आयोजित ‘पौष मेला का दूसरा दिन बंगाल के लोकधुनों के नाम रहा। जी बांग्ला के प्रसिद्ध कलाकार तीर्थो ने बंगाल के लोकधुनों और फ्यूजन संगीत की ऐसी युगलबंदी की श्रोता मस्ती के इस आलम में डूबते-उतराते रहे। मेकॉल कम्युनिटी हॉल में चल रहे इस पौष मेला में बड़ी संख्या में बांग्लाभाषियों ने इस जीवंत प्रस्तुति का आनंद उठाया।तीर्थो ने चर्चित बांग्ला गीत- संुदरी कमला...गीत से संगीत संध्या की शुरुआत की। जब उन्होंने लालन फकीर का गीत- मिलन होबे कोतो दिने...गाया तो सभागार तालियों से गूंज उठा। इसके बाद उन्होंने श्रोताओं की पसंद को ताड़ते हुए हसन रजा का गीत प्रसिद्ध गीत- लोके बोले-बोले रे...गाकर सुनाया। श्रोताओं के आग्रह पर उन्होंने शाह अब्दुल करीम का गीत- की सुंदर दिन..., सुनाकर समां बांधा। लोकगीतों से साथ पारंपरिक ढोल, बांसुरी, दोतारा, करताल, शंख का बखूबी इस्तेमाल किया गया। इनके साथ कीबोर्ड, बैंजो से पाश्चात्य वाद्य यंत्रों ने अच्छा फ्यूजन किया।

आज चंद्रबिंदु की प्रस्तुति

मेले का समापन मंगलवार को होगा। दिनभर मेले में कपड़ों, फैंसी ज्वेलरी की खरीदारी के साथ बंगाली खान-पान का आनंद उठाया जा सकता है। शाम 7 बजे से कोलकाता के प्रसिद्ध बांग्ला बैंड ‘चंद्रबिंदु की प्रस्तुति मुख्य आकर्षण होगी।

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