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छात्र ही नहीं अब शिक्षकों को भी पहननी होगी ड्रेस

झारखंड के सभी सरकारी स्कूलों के शिक्षकों को अनिवार्य रूप से ड्रेस पहननी होगी। शिक्षकों को क्रीम कलर की शर्ट, टाई और ब्लैक पैंट या क्रीम कलर का कुर्ता और सफेद धोती पहननी होगी। वहीं, शिक्षिकाओं को लाल...

छात्र ही नहीं अब शिक्षकों को भी पहननी होगी ड्रेस
हिन्दुस्तान ब्यूरो,रांचीTue, 11 Sep 2018 01:46 AM
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झारखंड के सभी सरकारी स्कूलों के शिक्षकों को अनिवार्य रूप से ड्रेस पहननी होगी। शिक्षकों को क्रीम कलर की शर्ट, टाई और ब्लैक पैंट या क्रीम कलर का कुर्ता और सफेद धोती पहननी होगी। वहीं, शिक्षिकाओं को लाल पाढ़ की क्रीम कलर की साड़ी या क्रीम कुर्ता व मैरुन सलवार पहनना होगा। राज्य सरकार इसे अनिवार्य रूप से लागू करवाने की तैयारी कर रही है। इसके लिए शिक्षकों को पोशाक और धुलाई भत्ता भी दिया जा सकता है। 
राज्य में पूर्व में शिक्षकों से बच्चों की तर्ज पर ड्रेस कोड का पालन करने और पहनने का अनुरोध किया गया था। इसके बाद कई स्कूलों में शिक्षक इसका पालन कर रहे हैं, वहीं अधिकांश में यह लागू नहीं हो पा रहा है। ऐसे में सरकार सभी शिक्षकों को अनिवार्य रूप से इसका पालन करने के लिए जिलों को निर्देश देने की तैयारी कर रही है। सरकार का साफ मानना है कि स्कूलों में अगर अनुशासन का पालन करना है, तो शिक्षकों को भी ड्रेस कोड का पालन करना होगा। 
आदेशपाल के लिए मिलता है पोशाक-धुलाई भत्ता: राज्य के सरकारी स्कूलों में वर्तमान में सिर्फ आदेशपालों के लिए पोशाक और धुलाई भत्ता मिलता है। आदेशपाल को पोशाक के लिए 2500 रुपये और हर महीने धुलाई भत्ता के रूप में 75 रुपये दिये जाते हैं। शिक्षकों के लिए फिलहाल ऐसी कोई व्यवस्था नहीं है।  
पोशाक व धुलाई भत्ता के बाद लागू हो ड्रेस कोड: नियमित और पारा शिक्षक संघ लगातार सरकार से पोशाक व धुलाई भत्ता की मांग कर रहे हैं। अखिल झारखंड प्राथमिक शिक्षक संघ के मुख्य प्रवक्ता नसीम अहमद ने कहा कि शिक्षकों को पोशाक और धुलाई भत्ता के रूप में सलाना 10 हजार रुपया दिया जाये। शिक्षक नियमित रूप से सरकार द्वारा निर्धारित ड्रेस में स्कूल जायेंगे। 
यूनिफॉर्म की होती है अपनी ताकत :स्कूली शिक्षा व साक्षरता विभाग के प्रधान सचिव अमरेंद्र प्रताप सिंह का मानना है कि किसी भी यूनिफॉर्म की अपनी ताकत होती है। जिस प्रकार पुलिस-ट्रैफिक पुलिस की पहचान उनके यूनिफॉर्म से होती है, उसी प्रकार शिक्षकों को भी ड्रेस का अनिवार्य रूप से पालन करना चाहिए। इससे बच्चों और शिक्षकों में अनुशासन आयेगा और शिक्षकों को समाज में नई पहचान मिलेगी। 
 

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