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झारखंड के सरकारी अस्पतालों में नहीं दिखा हड़ताल का असर

इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के आह्वान पर मंगलवार को पूरे राज्य में पांच घंटे के लिए डॉक्टरों ने कलमबंद हड़ताल किया। इसमें राज्य के 1800 चिकित्सक शामिल हुए। वहीं झारखंड के 300 डॉक्टरों ने दिल्ली में आईएमए...

झारखंड के सरकारी अस्पतालों में नहीं दिखा हड़ताल का असर
हिन्दुस्तान टीम,रांचीWed, 07 Jun 2017 08:46 PM
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इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के आह्वान पर मंगलवार को पूरे राज्य में पांच घंटे के लिए डॉक्टरों ने कलमबंद हड़ताल किया। इसमें राज्य के 1800 चिकित्सक शामिल हुए। वहीं झारखंड के 300 डॉक्टरों ने दिल्ली में आईएमए के बैनर तले 15 सूत्री मांगों को लेकर मार्च में हुए शामिल हुए।
हड़ताल का असर सरकारी अस्पतालों में कम देखने को मिला। रिम्स में आम दिनों की तरह मरीजों की भीड़ दिखी। मेडिसिन विभाग में तो मरीजों की लंबी कतार लगी हुई थी। डॉक्टर ओपीडी में मरीजों को देख रहे थे। रिम्स में एक हजार से अधिक मरीजों का इलाज ओपीडी में किया गया। वहीं सदर अस्पताल में 250 से अधिक मरीजों का इलाज इमरजेंसी में किया गया। हालांकि, झासा के डॉ विमलेश सिंह, आईएमए के सचिव डॉ अमित मोहन रिम्स पहुंचे और उनके आग्रह पर रिम्स के डॉक्टर सांकेतिक रूप से थोड़ी देर के लिए ओपीडी से निकल गए थे। लेकिन आधे घंटे बाद स्थिति सामान्य हो गई थी। 
सदर अस्पताल में रोजाना 250 के करीब मरीज ओपीडी में उपचार कराते हैं। पर, ओपीडी में चिकित्सकों के नहीं बैठने से मरीजों को काफी परेशानी हुई। कई मरीज तो इस इंतजार में बैठे रहे कि चिकित्सक आएंगे, तो उनका उपचार करेंगे। पर, ऐसा देखने को नहीं मिला। इंतजार के बाद मरीजों को वापस लौटना पड़ा। इस दौरान सदर अस्पताल का इमरजेंसी वार्ड मरीजों का सहारा बना। ओपीडी में इलाज न होता देख मरीज इमरजेंसी वार्ड गए और वहां इलाज कराया। सदर में ओपीडी का रजिस्ट्रेशन काउंटर बंद रहा। यही हाल डोरंडा अस्पताल सहित अन्य जगहों पर भी देखने को मिला।
झारखंड के 300 डॉक्टर ने दिल्ली में किया मार्च
दूसरी ओर दिल्ली में देशभर के डॉक्टरों ने मंगलवार को 15 सूत्री मांगों को लेकर मार्च किया। जिसमें झारखंड से भी करीब 300 डॉक्टर शामिल हुए। आईएमए के राज्य सचिव डॉ प्रदीप कुमार सिंह ने बताया कि मार्च सफल रहा और हमलोगों ने अपनी बात सरकार के समक्ष शांतिपूर्ण तरीके से रख दिया है। वहीं झारखंड की डॉ. भारती कश्यप ने वीमेन डॉक्टर्स विंग आईएमए झारखण्ड का प्रतिनिधित्व किया। मार्च में डॉ अजय कुमार सिंह समेत झारखंड कई पदाधिकारी शामिल हुए। 
निजी अस्पताल में दिखा बंद का असर
निजी अस्पतालों में भी चिकित्सक ओपीडी में नहीं बैठे, पर कुछ अस्पतालों में मरीजों का इलाज करते देखे गए। दोनों स्थिति निजी अस्पतालों में देखने को मिली।
सदर में नहीं हुई पैथोलॉजिकल और रेडियोलॉजी की जांच
सदर अस्पताल और अन्य स्वास्थ्य केंद्रों की ओपीडी में चिकित्सकों के नहीं बैठने से पैथोलॉजिकल और रेडियोलॉजी जांच मरीजों की नहीं हो सकी। इमरजेंसी मामले में ही इसकी सेवा ली गई। वहीं, रिम्स में पैथोलॉजिकल जांच हुई।

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