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कंकर-कंकर में हैं शंकर, कहानी ग्यारह महादेव बाबाधाम की

सावन के महीने में भक्तों की भीड़ ग्यारह महादेव बाबा धाम, बम्हनी (मुरहू) में लग रही है। इस प्राचीन धर्मस्थल के संबंध में गांव के बुजुर्ग बताते हैं कि बात सतयुग की है। भगवान हनुमान की वानर सेना के दो...

कंकर-कंकर में हैं शंकर, कहानी ग्यारह महादेव बाबाधाम की
हिन्दुस्तान टीम,रांचीSat, 22 Jul 2017 10:52 PM
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सावन के महीने में भक्तों की भीड़ ग्यारह महादेव बाबा धाम, बम्हनी (मुरहू) में लग रही है। इस प्राचीन धर्मस्थल के संबंध में गांव के बुजुर्ग बताते हैं कि बात सतयुग की है। भगवान हनुमान की वानर सेना के दो सदस्य नल और नील बम्हनी गांव आए थे। उनके द्वारा ही रात्रि पहर में यहां ग्यारह शिवलिंगों को प्रतिस्थापित किया जा रहा था। इसी बीच मध्य रात्रि में मुर्गे ने बांग दिया और कार्य अधूरा रह गया। यहां आज भी नल-नील के द्वारा प्रतिस्थापित किए जा रहे ग्यारह शिवलिंग मौजूद हैं। यहां पूजा अर्चना करने भक्तगण पहुंचते हैं। यहां आदिकाल से लगने वाले मंडा पूजा में पिछले कई सालों से विराम लग गया है। किंवदंती है कि मंडा पूजा के समय पाहन यहां मुर्गे को मरोड़कर फेंकते थे और उसी समय एक शेर आकर उसे ले जाता था। जिसे पूजा की सफलता मानी जाती थी। वहीं इस गांव में ऐसा तालाब हुआ करता था, जहां लोग अहले सुबह जाकर जो कुछ भी मांगते थे, उन्हें मिल जाता था। उन सामानों को कर्ज समझ गांव वाले बाद में वापस कर दिया करते थे। एक बार एक ग्रामीण धान के बदले करहनी (काला धान) वापस कर दिया। जिसके बाद से तालाब के देवता रूठ गए। फिर लाख विनती के बाद भी ग्रामीणों को उस तालाब से कुछ नहीं मिलने लगा। । यहां एक शिवलिंग को छोड़ बाकि सभी शिवलिंग खुले आकाश के नीचे हैं। ग्यारह महादेव बाबा धाम में कई मंदिर बनाने का मामला विवादों के भेंट चढ़ गया है। बावजूद इसके इस धाम के प्रति भक्तों में अपार आस्था है।

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