Hindi NewsJharkhand NewsRanchi NewsJharkhand High Court Rules Against Birth Date Changes in Service Records
सर्विस रिकॉर्ड में जन्मतिथि में सुधार का दावा अधिकार नहीं : हाईकोर्ट

सर्विस रिकॉर्ड में जन्मतिथि में सुधार का दावा अधिकार नहीं : हाईकोर्ट

संक्षेप: भले ही मैट्रिक का प्रमाणिक दस्तावेज क्यों न पेश किया जाए, नियुक्ति के दो दशक बात सेवानिवृत्ति के करीब आने पर कर्मचारियों ने सुधार का आवेदन दिया था

Thu, 4 Sep 2025 07:04 PMNewswrap हिन्दुस्तान, रांची
share Share
Follow Us on

रांची। विशेष संवाददाता झारखंड हाईकोर्ट ने एक महत्वपूर्ण निर्णय में कहा है कि सर्विस रिकॉर्ड में जन्मतिथि में सुधार का अधिकार के रूप में दावा नहीं किया जा सकता, भले ही उसके समर्थन में प्रामाणिक दस्तावेज जैसे मैट्रिक का प्रमाणपत्र ही क्यों न हो। चीफ जस्टिस तरलोक सिंह चौहान और जस्टिस राजेश शंकर की अदालत ने बीसीसीएल के दो कर्मचारियों की अपील याचिका पर सुनवाई करते हुए यह आदेश दिया। अदालत ने दोनों कर्मचारियों की अपील याचिका खारिज कर दी। दोनों कर्मचारियों ने अपनी सर्विस रिकॉर्ड में जन्मतिथि सुधार की मांग दो दशक बाद और सेवानिवृत्ति के निकट आने पर की थी।

LiveHindustan को अपना पसंदीदा Google न्यूज़ सोर्स बनाएं – यहां क्लिक करें।

एक मामले में अपीलकर्ता को 2 दिसंबर 1986 को बीसीसीएल में अस्थायी भूमिगत लोडर के रूप में नियुक्त किया गया था। नियुक्ति के समय प्रस्तुत मैट्रिक प्रमाणपत्र में उनकी जन्मतिथि 5 अक्तूबर 1965 दर्ज थी, लेकिन सर्विस रिकॉर्ड में मेडिकल परीक्षण के आधार पर 7 मई 1986 को उनकी आयु 24 वर्ष मानी गई, जिससे अनुमानित जन्मतिथि 7 मई 1962 बनती है। अपीलकर्ता ने मार्च 2007 में जन्मतिथि सुधार की मांग की, लेकिन उसे स्वीकार नहीं किया गया और 31 मई 2022 को सेवानिवृत्त कर दिया गया। दूसरे मामले में अपीलकर्ता 13 जुलाई 1990 को माइनर लोडर के पद पर नियुक्त हुए थे। उनके प्रमाणपत्र में जन्मतिथि 7 जून 1966 थी, जबकि सर्विस रिकॉर्ड में 27 जून 1964 अंकित की गई थी। उन्होंने नवंबर 2013 में आपत्ति दर्ज कराई, लेकिन उनका दावा 2020 में खारिज कर दिया गया। कोर्ट का आदेश दोनों मामले में रिट याचिकाएं पहले ही एकल पीठ द्वारा खारिज की गई थीं, जिसे अपीलकर्ताओं ने एलपीए के माध्यम से चुनौती दी थी। हाईकोर्ट की खंडपीठ ने कहा कि जन्मतिथि में सुधार के लिए यदि अत्यधिक विलंब (20 वर्षों से अधिक) से मांग की जाती है, तो उसे स्वीकार नहीं किया जा सकता, विशेषकर जब कर्मचारी नियुक्ति के समय सर्विस रिकॉर्ड पर बिना आपत्ति के हस्ताक्षर कर चुके हों। कोर्ट ने यह भी कहा कि जन्मतिथि सुधार का दावा केवल ठोस दस्तावेजी साक्ष्यों के आधार पर ही नहीं किया जा सकता, जब तक कि संबंधित कर्मचारी यह साबित न कर सके कि उसने नियुक्ति के समय सही दस्तावेज प्रस्तुत किए थे और कोई स्पष्ट त्रुटि रिकॉर्ड में दर्ज है। पूर्व मामलों का कोर्ट ने दिया हवाला कोर्ट ने भारत कोकिंग कोल लिमिटेड बनाम श्याम किशोर सिंह और शिव कुमार दुशाद बनाम बीसीसीएल जैसे पूर्व मामलों का हवाला देते हुए कहा कि सेवा में आने के दशकों बाद जन्मतिथि में सुधार की मांग करना स्वीकार्य नहीं है, यदि नियोक्ता ने उम्र निर्धारण के लिए नियमों और प्रक्रियाओं का पालन किया हो। सर्विस रिकॉर्ड में जन्मतिथि में सुधार, भले ही पुख्ता सबूत मौजूद हों, अधिकार नहीं है। खंडपीठ ने दोनों अपीलों को खारिज करते हुए एकलपीठ के आदेश को सही ठहराया।