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कोरोना से दिसंबर तक मुक्ति मिलना मुश्किल, जनवरी से कम होंगे संक्रमित

कोरोना का कहर दशहरा से लेकर क्रिसमस तक रह सकता है। इस वायरस से लोगों को दिसंबर तक छुटकारा मिलना मुश्किल...

कोरोना से दिसंबर तक मुक्ति मिलना मुश्किल, जनवरी से कम होंगे संक्रमित
हिन्दुस्तान टीम,रांचीSun, 05 Jul 2020 10:35 PM
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कोरोना का कहर दशहरा से लेकर क्रिसमस तक रह सकता है। इस वायरस से लोगों को दिसंबर तक छुटकारा मिलना मुश्किल है। दिसंबर के बाद संक्रमण का ग्राफ कम होने लगेगा। झारखंड में कोरोना जांच की दर काफी कम है जिसके कारण यहां संक्रमण के केस कम है। झारखंड में एक दिन में औसतन 3000 जांच हो रहे हैं तो बिहार में हर दिन 18 हजार जांच का आंकड़ा है। सिर्फ कोरोना से मौत होने की बात कहना गलत है, झारखंड में एक दिन में चार लोगों की जो मौत हुई है उसमें सिर्फ कोरोना का कारण बताना गलत है, उन्हें कोरोना हुआ था लेकिन इसके साथ उन्हें दूसरी या पुरानी बीमारी भी जरूर होगी। यह बातें राजीव गांधी सुपर स्पेशटिी हाॅस्पीटल के निदेशक डाॅ बीएल शेरवाल ने कही। वो रविवार को रिम्स पहुंचे और मीडिया से बात करते हुए बताया कि कोरोना का वैक्सीन बाजार में आ रहा है, लेकिन कोरोना से तुरंत मुक्ति मिलना संभव नहीं है। उन्होंने कोरोना से लडने और बचाव के उपाय भी बताए। डॉ शेरवाल माइक्रोबायोलॉजिस्ट भी है और दिल्ली में कोरोना से निपटने में अपनी भागीदारी दे रहे हैं। उन्होंने कहा कि कोरोना से बचने के लिए थ्री टी यानि टेस्ट, ट्रेस एंड ट्रीट के फार्मूले पर काम किया जाना चाहिए। मतलब अधिक से अधिक संख्या में लोगों का टेस्ट किया जाए। मरीजों के कांटेक्ट को ट्रेस किया जाए और उन्हें बेहतर तरीके से ट्रीट किया जाए। इसमें अधिक से अधिक मरीजों को जांच करने की जरूरत है। कोरोना जैसे ही अपने पीक पर जाएगा वैसे ही नीचे आएगा, इसमें वक्त लगेगा। --उन्होंने बताया कि दिल्ली और मुम्बई की तुलना में झारखंड में इसलिए भी संक्रमितों की संख्या कम है क्योंकि वहां सीधे विदेशों से अधिकतर लोग पहुंचे। जिसमें से अधिकतर संक्रमित पाए गए। जबकि इस तरह का वाक्या झारखंड में नहीं हुआ। यहां संक्रमण बाहर से ही फैला है लेकिन उस रफ्तार से नहीं जो सीधे बड़े शहरों में पहुंचे।

कोविड अस्पताल में लाइफ सेविंग सपोर्ट की उपलब्धता हो

डॉ शेरवाल ने मौत के आंकड़े को कम करने या नियंत्रण करने के सवाल पर कहा कि सबसे पहले आवश्यक है कि कोविड अस्पताल में लाइफ सेविंग सपोर्ट की उपलब्धता हो। किसी भी गंभीर मरीज में कोरोना की पुष्टि के बाद उसे तुरंत भर्ती के बाद लाइफ सपोर्ट मशीन में डाला जाए। गंभीर मरीजों के लिए सभी विभागों के विशेषज्ञों की टीम हर समय कोविड वार्ड में हो। सिर्फ जूनियर डॉक्टरों के भरोसे कोविड के गंभीर मरीजों को ना छोड़ा जाए। उन्होंने कहा कि कोरोना से निपटने के लिए अभी तक कोई ठोस दवा नहीं आ पायी है। इसलिए, गंभीर बिमारी के मरीज और बुजुर्गों को पर अधिक ध्यान देने की जरुरत है। उन्होंने कहा कि प्रतिदिन नए लक्षण सामने आ रहे हैं, किसी में कोई लक्षण दिखायी ही नहीं दे रहे हैं। टेस्ट में फर्क आ रहा है। सर्दी खांसी बुखार जैसी स्थिति में तुरंत डाॅक्टर से संपर्क कर कोरोना जांच कराना चाहिए।

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