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सेंट जेवियर्स कॉलेज के 'मेडिसिन बैंक' को अंतरराष्ट्रीय पुरस्कार

सेंट जेवियर्स कॉलेज के रोटारैक्ट क्लब की ओर से संचालित 'मेडिसिन बैंक' को सार्क (दक्षिण एशियाई) देशों का 'पीपल च्वॉइस सामुदायिक सेवा अवॉर्ड' मिला है। इसमें दक्षिण एशियाई देशों- अफगानिस्तान,...

सेंट जेवियर्स कॉलेज के 'मेडिसिन बैंक' को अंतरराष्ट्रीय पुरस्कार
हिन्दुस्तान टीम,रांचीMon, 25 Jun 2018 01:57 AM
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सेंट जेवियर्स कॉलेज के रोटारैक्ट क्लब की ओर से संचालित 'मेडिसिन बैंक' को सार्क (दक्षिण एशियाई) देशों का 'पीपल च्वॉइस सामुदायिक सेवा अवॉर्ड' मिला है। इसमें दक्षिण एशियाई देशों- अफगानिस्तान, बांग्लादेश, भूटान, भारत, मालद्वीप, नेपाल, पाकिस्तान और श्रीलंका के 8500 रोटारैक्ट क्लब के सामुदायिक कार्य की समीक्षा की गई, जिसमें सेंट जेवियर्स कॉलेज ने बाजी मारी। किसी शैक्षणिक संस्थान को सामुदायिक सेवा के क्षेत्र में मिलनेवाला यह पहला पुरस्कार है। रोटारैक्ट क्लब रोटरी क्लब की युवा इकाई है, जिसके सदस्य कॉलेज के छात्र-छात्राएं हैं। पुरस्कार की घोषणा 23 जून को उदयपुर, राजस्थान में की गई। रोटारैक्ट क्लब सेंट कॉलेज की ओर से बिहार-झारखंड के रोटारैक्ट ग्रुप के प्रतिनिधि वैभव ठाकुर ने यह पुरस्कार ग्रहण किया।

30 सदस्यीय मेडिसिन टीम

सेंट जेवियर्स कॉलेज के मेडिसन बैंक की 30 सदस्यीय मेडिसिन टीम है। ये सदस्य कॉलेज के छात्र-छात्राएं हैं। यह टीम बिना इस्तेमाल की हुई दवाओं को संग्रहित करती है। इसके लिए सेंट जेवियर्स कॉलेज के अलावा विभिन्न स्कूलों में मेडिसिन बॉक्स लगाए गए हैं। इसमें लोग स्वेच्छा से बिना इस्तेमाल की हुई दवा दान करते हैं। यह अभियान इस वर्ष जनवरी से चलाया गया। अब तक मेडिसिन बैंक ने 30 किलो दवा संग्रहित की है। इन दवाओं को कोकर स्थित निरामया अस्पताल को दान किया गया। मेडिसिन बैंक का संचालन कॉलेज का रोटारैक्ट क्लब करता है। इसके अध्यक्ष हैं- अमरेंद्र कुमार यादव, जो कॉलेज के बीकॉम सेमेस्टर-4 के छात्र हैं और समन्वयक हैं अशबाह जावेद, जो बीकॉम सेमेस्टर-2 के छात्र हैं। प्रायोजक हैं- प्रकाश टेकरीवाल। साथ ही, डीएसडब्ल्यू मार्कुस बारला, डॉ एस चौधरी और रोटरी क्लब रांची के अध्यक्ष हरमिंदर सिंह मार्गदर्शक की भूमिका में हैं।

मेडिसिन बैंक का दायरा बढ़ेगा

अंतरराष्ट्रीय पुरस्कार मिलने से उत्साहित रोटारैक्ट के अध्यक्ष अमरेंद्र कुमार यादव कहते हैं कि अब मेडिसिन बॉक्स बैंकों, कोचिंग संस्थानों, मंदिरों व अन्य शिक्षण संस्थानों में भी लगाया जाएगा। इसमें स्वेच्छा से लोग दवाई दान कर सकेंगे। इन संग्रहित दवाइयों को ग्रामीण क्षेत्र के लोगों को नि:शुल्क बांटा जाएगा। रोटारैक्ट के 85 सदस्य, जो छात्र-छात्राएं हैं, इस अभियान में का संचालन करेंगे।

कोट: बची हुई दवाइयां बर्बाद न होकर किसी जरूरतमंद के काम आ जाएं, इसी सोच के साथ प्रोजेक्ट 'मेडिसिन बैंक' शुरू किया गया। इसको अंतरराष्ट्रीय स्वीकारोक्ति मिलने से हमारा उत्साह बढ़ गया है। हम इसे और भी प्रभावी बनाएंगे। - अशबाह जावेद, समन्वयक रोटारैक्ट क्लब सेंट जेवियर्स कॉलेज

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