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झारखंड के हर जिले में शुरू होगी प्रदूषण की जांच

राज्य के हर जिले में प्रदूषण की जांच की जाएगी। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) के निर्देश पर यह शुरुआत सात जिलों से की जा रही है। ये जिले हैं लोहरदगा, खूंटी, सिमडेगा, गुमला, गढ़वा,...

झारखंड के हर जिले में शुरू होगी प्रदूषण की जांच
हिन्दुस्तान टीम,रांचीWed, 20 Dec 2017 01:19 AM
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राज्य के हर जिले में प्रदूषण की जांच की जाएगी। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) के निर्देश पर यह शुरुआत सात जिलों से की जा रही है। ये जिले हैं लोहरदगा, खूंटी, सिमडेगा, गुमला, गढ़वा, डालटनगंज और लातेहार। आठवां जिला रांची है, जहां प्रदूषण की नियमित जांच की जा रही है। सीपीसीबी ने देश के 401 जिलों में प्रदूषण की नियमित जांच की योजना बनाई है। सभी राज्यों को इस संबंध में निर्देश जारी किए गए हैं। इसके अंतर्गत झारखंड के भी सभी जिलों में प्रदूषण की जांच शुरू की जाएगी। झारखंड राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की ओर से शुरुआत सात जिलों से की जा रही है। राजधानी रांची में छह स्थानों पर ऑटोमेटिक मशीनों से 24 घंटे प्रदूषण का स्तर मापा जाएगा। जबकि तीन हस्ताचालित मशीनों से जगह-जगह प्रदूषण की जांच की जा रही है। अन्य सात जिलों में हस्तचालित मशीनों से ही प्रदूषण की जांच की जाएगी। इन मशीनों को औद्योगिक-वाणिज्यिक, आवासीय और शांत क्षेत्रों में ले जाकर प्रदूषण के स्तर की जांच करनी होगी। 21 विश्लेषक की जरूरतमशीनों का उपयोग कर प्रदूषण की जांच के लिए हर जिले में कम से कम तीन विश्लेषकों की आवश्यकता पड़ेगी। बोर्ड इन विश्लेषकों का प्रबंध करने में जुटा है। हर स्थान पर तीन समय अंतराल के साथ प्रदूषण की जांच की जाती है। सुबह छह से दोपहर दो बजे। दोपहर दो बजे से रात दस बजे और रात दस बजे से सुबह छह बजे। हर पहर के लिए कम से कम एक विश्लेषक की जरूरत पड़ेगी। बोर्ड जल्द ही इन विश्लेषकों का प्रबंध कर लेगा।सूक्ष्म और अति सूक्ष्म धूलकण की जांचवायु में प्रदूषण के तत्व खास कर सूक्ष्म धूलकण (पीएम 10), अति सूक्ष्म धूलकण (पीएम 2.5) के साथ नाइट्रोजन ऑक्साइड, सल्फर डाई ऑक्साइड, कार्बन मोनो ऑक्साइड आदि की जांच की जाएगी। जांच रिपोर्ट को वेबसाइट पर भी अपलोड किया जाएगा। प्रदूषण नियंत्रण में मिलेगी मददझारखंड में बड़े उद्योग स्थापित हैं और आने वाले दिनों में काफी संख्या में नए उद्योग स्थापित किए जाएंगे। वाहनों की संख्या बढ़ रही है। खनन, नयी सड़कें बन रही हैं। शहर का विस्तार हो रहा है। ऐसी स्थिति में प्रदूषण का स्तर बढ़ने की आशंका बनी रहेगी। नियमित जांच से प्रदूषण के वास्तविक स्तर की जानकारी रहेगी। बढ़ने की स्थिति में इसे नियंत्रित करने का प्रबंध किया जा सकेगा। दिल्ली और राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में व्यावसायिक उपयोग वाले वाहनों जैसे ऑटो, टेंपो, यात्री बसों का संचालन सीएनजी से कर दिया गया है।

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