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आधा दर्जन न्यायिक अधिकारियों पर होगी कार्रवाई, पेशकार समेत कई दोषी

संज्ञान लेने के बाद 16 साल तक मामले को ठंडे बस्ते में डालने के मामले में आधा दर्जन से अधिक न्यायिक अधिकारियों पर कार्रवाई की जाएगी। इन सभी पर लापरवाही बरतने, ढुलमुल रवैया अपनाने का आरोप है। इस मामले...

आधा दर्जन न्यायिक अधिकारियों पर होगी कार्रवाई, पेशकार समेत कई दोषी
हिन्दुस्तान टीम,रांचीSat, 05 Aug 2017 12:59 AM
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संज्ञान लेने के बाद 16 साल तक मामले को ठंडे बस्ते में डालने के मामले में आधा दर्जन से अधिक न्यायिक अधिकारियों पर कार्रवाई की जाएगी। इन सभी पर लापरवाही बरतने, ढुलमुल रवैया अपनाने का आरोप है। इस मामले में पेशकार और कोर्ट के अन्य कर्मचारी भी दोषी पाए गए हैं। इन सब पर कार्रवाई के लिए मामला कार्यवाहक चीफ जस्टिस डीन पटेल के पास भेज दिया गया है। पूर्व में कोर्ट ने इस मामले की जांच कर रिपोर्ट प्रस्तुत करने का निर्देश दिया था।शुक्रवार को हाईकोर्ट में रिपोर्ट पेश की गई। रिपोर्ट में कहा गया है कि इस मामले को दस न्यायिक अधिकारियों ने डील किया था। जांच के बाद यह पता चला कि इस मामले में छह न्यायिक अधिकारियों ने लापरवाही बरती है। उन्होंने इस केस को लेकर कैजुअल अप्रोच दिखाया। गंभीरता से मामले को नहीं लिया। पेशकारों की भूमिका को भी सही नहीं पायी गई।इस केस में 100 से भी अधिक डेट पड़े, लेकिन आगे की कार्रवाई कुछ नहीं हो सकी। सिर्फ डेट देकर मामले को दबा दिया गया। इस केस के दस्तावेज को सुरक्षित रखने का प्रयास नहीं किया गया। इस कारण दस्तावेज भी नष्ट होने लगे। रिपोर्ट को देखने के बाद जस्टिस आनंद सेन की अदालत ने इसे गंभीर मामला माना और कहा कि इसमें लापरवाही हुई है और दोषियों के खिलाफ कार्रवाई भी होनी चाहिए। कोर्ट ने आगे की कार्रवाई के लिए मामला कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश के पास भेज दिया।क्या है मामलाजमशेदपुर के सिविल कोर्ट ने फैक्ट्री एक्ट के एक मामले में 15. 5. 2001 को संज्ञान लिया था। 16 साल पहले संज्ञान लिया गया, लेकिन इस मामले की सुनवाई नहीं हो सकी। जेजे ईरानी ने 31.11.2001 को आरोप मुक्त करने के लिए कोर्ट में आवेदन दिया था। इसके बाद 15 साल तक आवेदन को ठंडे बस्ते में डाल दिया गया। 2016 में सुनवाई की गई और आवेदन निरस्त कर दिया गया। कोर्ट ने इस मामले को गंभीरता से लिया और रजिस्ट्रार विजिलेंस को जांच करने का आदेश दिया था।

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