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फसल सुधार में जीनोम एडिटिंग काफी कारगर : डॉ कुतुबुद्दीन अली मोला

फोटो - बीएयू नाम से (कार्यक्रम के अंत में मुख्य वक्ता को बीएयू की ओर

फसल सुधार में जीनोम एडिटिंग काफी कारगर : डॉ कुतुबुद्दीन अली मोला
हिन्दुस्तान टीम,रांचीThu, 28 Jan 2021 08:30 PM
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रांची I संवाददाता

बिरसा कृषि विश्वविद्यालय में गुरुवार को इंडियन सोसाइटी ऑफ जेनेटिक्स एंड प्लांट ब्रीडिंग रांची चैप्टर की ओर से क्रिस्पर कस : अगली पीढ़ी के सटीक प्रजनन टूल्स विषय पर व्याख्यान का आयोजन किया। मुख्य वक्ता नेशनल राइस रिसर्च इंस्टीट्यूट कटक के बायोटेक्नोलॉजिस्ट डॉ कुतुबुद्दीन अली मोला ने कहा कि बायोटेक्नोलॉजी तकनीक से कृषि क्षेत्र में व्यापक बदलाव आने जा रहा है।

ग्लोबल मांग के अनुरूप फसल सुधार में पौधा प्रजनकों को इन तकनीकों की दिशा में कार्य किए जाने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि क्रिस्पर कस तकनीक फसल सुधार के लिए अगली पीढ़ी के लिए सटीक प्रजनन टूल्स के रूप में उभर के सामने आया है। इस जीनोम एडिटिंग तकनीक से विभिन्न फसलों में प्रजनन से अधिक जीन विशेषताओं सटीक रूप से सुधार कर सकते हैं। सोसाइटी के अध्यक्ष एवं कुलपति डॉ ओंकार नाथ सिंह ने कहा कि कृषि वैज्ञानिकों को ग्लोबल मांग एवं बदलते नवीनतम तकनीकी पर अद्यतन शोध जारी रखने की जरूरत है। क्रिस्पर कस की बायोटेक्नोलॉजी तकनीक तीव्र फसल प्रजनन और लाभकारी फसल विशेषताओं के विकास में कारगर टूल्स सिद्ध हो सकती है। सोसाइटी के सचिव डॉ जेडए हैदर ने इस व्याख्यान को पीजी एवं पीएचडी छात्रों के शोध में काफी उपयोगी बताया। व्याख्यान में डीन, डायरेक्टर, प्रोफेसर सहित बड़ी संख्या में पीजी एवं पीएचडी छात्र-छात्राओं ने भाग लिया।

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