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चारा घोटाला: सीबीआई के एएसपी एके झा के खिलाफ विभागीय कार्यवाही पर रोक

अंजनी कुमार, वीएस दुबे, सुखदेव सिंह एवं अन्य के मामले में रोक बरकरार

चारा घोटाला: सीबीआई के एएसपी एके झा के खिलाफ विभागीय कार्यवाही पर रोक
हिन्दुस्तान टीम,रांचीFri, 18 May 2018 06:30 PM
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बिहार के मुख्य सचिव अंजनी कुमार, झारखंड के पूर्व मुख्य सचिव वीएस दुबे, आइएएस सुखदेव सिंह, सीबीआई के एएसपी एके झा, सीबीआई के गवाह शिव कुमार पटवारी एवं अन्य के मामले में सीबीआई कोर्ट के आदेश पर हाईकोर्ट ने रोक बरकरार रखी है। सभी के खिलाफ चारा घोटाले के मामले में सीबीआई कोर्ट के विशेष जज शिवपाल सिंह ने समन जारी किया था। यह बताने को कहा है कि क्यों नहीं उन्हें भी आरोपी बनाते हुए उनके खिलाफ मामला चलाया जाए। हाईकोर्ट ने सीबीआई के विशेष जज शिवपाल सिंह के उस आदेश पर भी रोक लगा दी, जिसमें सीबीआई के एएसपी एके झा के खिलाफ विभागीय कार्यवाही करने का आदेश दिया था। सीबीआई कोर्ट के इस आदेश को सभी ने चुनौती दी है। शुक्रवार को जस्टिस अपरेश सिंह की अदालत ने इस मामले पर सुनवाई करते हुए रोक को बरकरार रखी। शुक्रवार को सीबीआई की एक अन्य याचिका पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने महाधिवक्ता से एक वकील को नियुक्त करने को कहा जो इस मामले में सीबीआई का पक्ष रख सके। इसके बाद महाधिवक्ता ने वरीय अधिवक्ता बीएम त्रिपाठी का नाम बताया। अदालत ने संबंघित अधिवक्ता का मंतव्य लेकर अदालत को अवगत कराने का निर्देश दिया। जस्टिस अपरेश कुमार सिंह ने कहा कि सीबीआई को एससपी एके झा ने इस मामले में निजी तौर पर याचिका दायर की है। उसमें सीबीआई को भी प्रतिवादी बनाया गया है। इधर सीबीआई ने भी पूरे मामले को लेकर निचली अदालत के आदेश को चुनौती दी है। इस तरह एक मामले में वादी और उसी मामले में प्रतिवादी सीबीआई नहीं रह सकती। इसलिए बेहतर होगा कि इसमें एक अमकेस क्यूरी (कोर्ट की ओर से पक्ष रखने के लिए नियुक्त अधिवक्ता) नियुक्त किया जाए। सीबीआई कोर्ट ने चारा घोटाले के दुमका कोषागार के मामले (आरसी 38 ए/96) में आदेश में कहा है कि सीबीआई के अधिकारियों का भूमिका सही नहीं है। सीबीआई ने वैसे लोगों को सरकारी गवाह बना दिया जो इस मामले के मुख्य अभियुक्त बन सकते थे। सीबीआई ने इसमें सही तरीके से जांच नहीं की है। इस आदेश को सीबीआई ने हाईकोर्ट में चुनौती दी है और आदेश से इसे हटाने का आग्रह किया है। सीबीआई का कहना है कि इस मामले में जांच सही तरीके से की गई है। सभी तथ्य जुटाए गए हैं। ऐसे में सीबीआई जैसी एजेंसी के खिलाफ ऐसी प्रतिकूल टिप्पणी उचित नहीं है। अदालत ने याचिका सुनवाई के लिए स्वीकार कर लिया।

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