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चारा घोटाला: आवंटन था सात लाख का, निकासी हुई 33 करोड़ की

चाईबासा कोषागार में वर्ष 1992- 93 से फरजी निकासी का दौर शुरू हुआ था। इस साल जिले के लिए पशुपालन विभाग ने सात लाख का आवंटन दिया था। लेकिन फरजी आवंटन आदेश और बिल के माध्यम से 33 करोड़ से अधिक की निकासी...

चारा घोटाला: आवंटन था सात लाख का, निकासी हुई 33 करोड़ की
हिन्दुस्तान टीम,रांचीThu, 25 Jan 2018 01:43 AM
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चाईबासा कोषागार में वर्ष 1992- 93 से फरजी निकासी का दौर शुरू हुआ था। इस साल जिले के लिए पशुपालन विभाग ने सात लाख का आवंटन दिया था। लेकिन फरजी आवंटन आदेश और बिल के माध्यम से 33 करोड़ से अधिक की निकासी कर ली गई। इस काम में पशुपालन विभाग के अधिकारी मुख्य साजिशकर्ता थे। वह अपने मातहतों पर दबाव बनाते थे और फरजी आवंटन और फरजी बिल के माध्यम से निकासी कराते थे। इस काम में उन्होंने अपने चहेतों को भी सप्लायर बना दिया। जबकि सप्लायरों का फर्म वैध नहीं था। अधिकांश फर्म कागजों पर ही चलते थे। बिना चारा और दवा आपूर्ति के ही आवंटन आदेश कोषागार पहुंच जाता था। आपू्र्ति नहीं होने के बाद भी उसका बिल तैयार कर कोषागार से निकासी कर ली जाती थी। कई अधिकारियों ने अपनी पत्नी और बेटे को भी आपूर्तिकर्ता बना दिया था। चारा ढुलाई के लिए भी फरजी कागजातों का सहारा लिया जाता था। किसी भी वाहन का नंबर अंकित कर बिल तैयार कर लिया जाता था। जब सीबीआई ने इस मामले की जांच की, तो कई तथ्य उजागर हुए। जांच के दौरान सीबीआई को पता चला कि इस मामले में राजनेता से लेकर पशुपालन विभाग के अधिकारी, कोषागार के पदाधिकारी और सप्लायर भी शामिल हैं। जांच के बाद वर्ष 1996 में सीबीआई ने प्राथमिकी दर्ज की। इसके बाद अनुसंधान कर अदालत में आरोप पत्र दाखिल किया गया।

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