सीबीआई ने यूसीआईएल में वित्तिय अनियमितता के मामले में दर्ज की एफआईआर
पूर्वी जमशेदपुर के यूरेनियम कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया जादूगोड़ा में वित्तिय अनियमितता के मामले में सीबीआई एसीबी ने एफआईआर दर्ज की है। सीबीआई ने 56 लाख रूपये की वित्तिय अनियमितता के मामले में दर्ज एफआईआर...
पूर्वी जमशेदपुर के यूरेनियम कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया जादूगोड़ा में वित्तिय अनियमितता के मामले में सीबीआई एसीबी ने एफआईआर दर्ज की है। सीबीआई ने 56 लाख रूपये की वित्तिय अनियमितता के मामले में दर्ज एफआईआर में असीस्टेंट मैनेजर संजीव कुमार शर्मा, एकाउंट डिपोर्टमेंट के टाइपिस्ट गोपीनाथ दास, प्रशानसिक प्रशाखा के नृपेंद्र कुमार सिंह व अन्य को आरोपी बनाया है। सभी के खिलाफ प्रिवेंशन ऑफ करप्शन एक्ट समेत अन्य धाराओं के तहत एफआईआर दर्ज की गई है।
टीए बिल और ओवर टाइम बोगस पेमेंट कर लगाया चूना
सीबीआई के एफआईआर के मुताबिक, टीए बिल में गड़बड़ी व बोगस ओवरटाइम पेमेट का मामला साल 2014 से लेकर अबतक किया गया। टीए बिल में गड़बड़ी कर 29.14 लाख, जबकि बोगस ओवरटाइम पेमेंट के जरिए 27.46 लाख रूपये का चूना एकाउंट डिपोर्टमेंट के कर्मियों ने लगाया। एफआईआर दर्ज करने के बाद सीबीआई एसीबी ने मामले की जांच की जिम्मेदारी इंस्पेक्टर अमित कुमार को दी है।
कैसे की जालसाजी
सीबीआई अधिकारियों के मुताबिक, यूसीआईएल के एडमिनिस्ट्रेटिव डिपोर्टमेंट में कार्यरत पीयून नृपेंद्र कुमार सिंह ने साल 2014- 19 तक 580 फर्जी टीए बिल बनाकर जमा किए। इस सारे बिल को एकाउंट डिपार्टमेंट के गोपीनाथ दास ने जांचा, इसके बाद फारवर्ड कर एकाउंट अफसर संजीव कुमार शर्मा को भेजा। इसके बाद इस अवधि में 29 लाख 14 हजार 125 रूपये नृपेंद्र कुमार सिंह के खाते में ट्रांसफर किए गए। जांच में यह बात भी सामने आयी है कि नृपेंद्र ने जिस दिन बायोमैट्रिक सिस्टम के जरिए अपनी उपस्थिति कार्यालय में दिखायी थी, उस दिन का टीए बिल भी बनाया। एक ही तारीख के दो- तीन अलग अलग टीए बिल भी लिया गया है। सीबीआई एफआईआर के मुताबिक, टीए बिल को डाक फाइल के जरिए भेजा जाता है, लेकिन इस मामले में डाक फाइल के बजाय सीधे बिल एकाउंट डिपोर्टमेंट को भेजा गया।
बोगस ओवरटाइम में कैसे की गड़बड़ी
आरोपियों ने यूसीआईए के 19 कर्मियों का बोगस ओवरटाइम करा 27 लाख 46 हजार 502 रूपये का नुकसान कंपनी को पहुंचाया। एफआईआर के मुताबिक, कर्मियों के द्वारा न तो ओवर टाइम रिक्विजिशन भरवाया गया था और न ही कोई वाउचर ही दिया गया था। बावजूद इसके ओवर टाइम के घंटों को ऑन लाइन फाइनेंशियल एकाउंट सिस्टम में गोपीनाथ दास ने अपडेट कर दिया था, जिससे कंपनी को वित्तिय नुकसान हुआ।