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ऑनलाइ पढ़ाई के नाम पर आर्थिक और मानसिक शोषण हो रहा: अजय राय

ई-संवाद में झारखंड अभिभावक संघ के अध्यक्ष अजय राय ने कहा कि ऑनलाइन पढ़ाई के नाम पर स्कूल प्रबंधन अभिभावकों का आर्थिक और मानसिक शोषण कर रहे हैं। अभिभावक के नहीं चाहने के बाद भी ऑनलाइन को स्कूलों की...

ऑनलाइ पढ़ाई के नाम पर आर्थिक और मानसिक शोषण हो रहा: अजय राय
हिन्दुस्तान टीम,रांचीWed, 01 Jul 2020 12:05 AM
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ई-संवाद में झारखंड अभिभावक संघ के अध्यक्ष अजय राय ने कहा कि ऑनलाइन पढ़ाई के नाम पर स्कूल प्रबंधन अभिभावकों का आर्थिक और मानसिक शोषण कर रहा है। अभिभावकों के नहीं चाहने के बाद भी ऑनलाइन को स्कूलों की तरफ से बच्चों पर थोपा जा रहा है। कल तक जो स्कूल मोबाइल के इस्तेमाल पर बैन लगा रहा था, आज वही मोबाइल के इस्तेमाल को अनिवार्य कर दिया है। उन्होंने कहा कि आज बच्चे नहीं उनके अभिभावक पढ़ते हैं। नतीजा मध्यमवर्गीय परिवार को स्कूल की ट्यूशन फीस के साथ रोज तीन-चार जीबी मोबाइल का डेटा खर्च करना पड़ रहा है। उन पर दोहरी मार पड़ रही है। पहली से पांचवीं की ऑनलाइन पढ़ाई बंद होअजय राय ने कहा कि शिक्षा के विभिन्न मुद्दों पर अभिभावक सड़क से लेकर न्यायालय तक लड़ाई लड़ रहे हैं। अभिभावकों के सामने केवल चुनौती है। चुनौतियों के अलावा कुछ नहीं है। उनकी चुनौती के बीच भी लोग अवसर खोज रहे हैं। अजय राय ने कहा कि अन्य राज्यों की तरह झारखंड में भी पहली कक्षा से लेकर पाचवीं कक्षा तक के बच्चों का ऑनलाइन क्लास बंद होना चाहिए। नौवीं से 12वीं के बच्चों में इतनी समझ है कि वे इस पढ़ाई को समझ सकते हैं। प्रेप और पहली-दूसरी कक्षा के बच्चों से परीक्षा ली जा रही है जो कतई जायज नहीं है। उन्होंने कहा कि इस व्यवस्था में बदलाव होना चाहिए।बच्चों में बढ़ रहे हैं मानसिक विकार अजय राय ने कहा कि लॉकडाउन से पहले भी बच्चों को स्कूल के बाद कोचिंग भेजना होता था या उनके ट्यूटर की व्यवस्था करनी पड़ती थी, ताकि वे चीजों को समझ सके। कॉन्सेप्ट क्लियर हो सके। तब स्कूल और कोचिंग के बाद भी वे चीजों को नहीं समझ पाते थे, अभी सिर्फ एक वीडियो के माध्यम से वे चीजों को कितना समझ पाते होंगे, इसका अंदाजा आप लगा सकते हैं। इसके कारण बच्चों में मानसिक विकृतियां आ रही हैं। बच्चे चिड़चिड़े हो रहे हैं। ऑनलाइन पढ़ाई के नाम पर एक वीडियो भेज दिया जा रहा है अभी ऑनलाइन पढ़ाई के नाम पर ये हो रहा है कि एक टॉपिक का वीडियो बनाकर व्हाट्सएप पर भेज दिया जा रहा है। क्या ऑनलाइन पढ़ाई का मतलब बस कंटेंट को सेंड कर देना ही है। इसका खामियाजा अभिभावकों को भुगतना पड़ रहा है। वे परेशान हैं। मानव संसाधन मंत्रालय की ओर से पहली से 12वीं कक्षा तक के लिए 12 अलग-अलग चैनल शुरू किए गए हैं। उन्होंने कहा कि क्यों न इस पर एक स्लॉट सीबीएसई और आईसीएसई के लिए भी रिजर्व हो, ताकि सभी के लिए समान अवसर उपलब्ध हो। इसके लिए राज्य सरकार और केंद्र सरकार आपस में समन्वय बना कर एक दिशा-निर्देश जारी करें। निष्कर्ष निकालें।अजय राय के साथ सवाल-जवाब

सवाल:- क्या अभिभावक अपने बच्चों को ऑनलाइन पढ़ाना चाहते हैं ?

जवाब:- नहीं 80 फीसदी से ज्यादा अभिभावक अपने बच्चों की ऑनलाइन पढ़ाई कराना नहीं चाहते हैं। स्कूल जबरदस्ती उन पर यह प्रक्रिया थोप रहा है।

सवाल:- पढ़ाई की क्या व्यवस्था होनी चाहिए

जवाब:- सरकार व स्कूल प्रंबधन को मिलकर पढ़ाई के लिए एक समान प्लेटफॉर्म विकसित करना चाहिए, ताकि सभी बच्चों को समान लाभ मिल सके।

कोट :पहली कक्षा से लेकर पाचवीं कक्षा तक के बच्चों का ऑनलाइन क्लास बंद होना चाहिए। नौवीं से 12वीं के बच्चों में इतनी समझ है कि वे इस पढ़ाई को समझ सकते हैं। प्रेप और पहली-दूसरी कक्षा के बच्चों से परीक्षा ली जा रही है, जो कतई जायज नहीं है। उन्होंने कहा कि इस व्यवस्था में बदलाव होना चाहिए।

अजय राय, झारखंड अभिभावक संघ के अध्यक्ष

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