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राज्यपाल से मिलकर द्वितीय राजभाषाओं पर आपत्ति जताई

झारखंड भाषा बचाव मंच, केंद्रीय समिति का एक प्रतिनिधिमंडल सोमवार को राज्यपाल द्रौपदी मुर्मू से मिला। प्रतिनिधिमंडल के सदस्यों ने मगही, भोजपुरी, मैथिली और अंगिका को झारखंड में द्वितीय राजभाषा घोषित किए...

राज्यपाल से मिलकर द्वितीय राजभाषाओं पर आपत्ति जताई
हिन्दुस्तान टीम,रांचीMon, 02 Apr 2018 11:25 PM
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झारखंड भाषा बचाव मंच, केंद्रीय समिति का एक प्रतिनिधिमंडल सोमवार को राज्यपाल द्रौपदी मुर्मू से मिला। प्रतिनिधिमंडल के सदस्यों ने मगही, भोजपुरी, मैथिली और अंगिका को झारखंड में द्वितीय राजभाषा घोषित किए जाने पर आपत्ति जताई। उन्होंने मुद्दा उठाया कि वर्ष 2011 में पांच जनजातीय भाषाओं मुंडारी, संताली, हो, खड़िया, कुड़ुख और चार क्षेत्रीय भाषाओं नागपुरी, कुरमाली, खोरठा, पंचपरगनिया के साथ उर्दू, बांग्ला और उड़िया को द्वितीय राजभाषा का दर्जा दिया जा चुका है। उनका कहना था कि बिहार में मगही, भोजपुरी मैथिली और अंगिका को द्वितीय राजभाषा का दर्जा नहीं दिया गया है। ऐसे में जनजातीय बहुल राज्य झारखंड में इन भाषाओं को द्वितीय राजभाषा का दर्जा देना न्यायसंगत नहीं है।उन्होंने इन भाषाओं को द्वितीय राजभाषा का दर्जा दिए जाने के प्रस्ताव को रद्द करने की मांग की। साथ ही, सभी जनजातीय व क्षेत्री भाषाओं का पठन-पाठन राज्य के सभी स्कूलों में प्राथमिक स्तर से शुरू करने का आग्रह किया। आकाशवाणी व दूरदर्शन में में झारखंड की भाषाओं के कार्यक्रम की प्रसारण अवधि बढ़ाने की मांग की गई। साथ ही, राज्य के सभी कार्यालयों की अधिसूचना हिन्दी व अंग्रेजी के साथ सभी नौ झारखंडी भाषाओं में प्रकाशित करने की मांग की गई। राज्यपाल ने सभी मांगों पर उचित कार्रवाई का आश्वासन दिया। प्रतिनिधिमंडल में गीताश्री उरांव, डॉ सरस्वती गागराई, डॉ राकेश किरण, किरण कुल्लू, डॉ सविता कुमारी मुंडा, वीरेंद्र कुमार महतो, अरुण अमित तिग्गा, डॉ अर्चना कुमारी व मालती वागीशा लकड़ा शामिल थे।

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