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बड़ा तालाब की स्थिति कैसे सुधरेगी बताएं : हाईकोर्ट

रांची के बड़ा तालाब और इसके आसपास की गंदगी देख झारखंड हाईकोर्ट ने हैरानी जताते हुए कहा कि बड़ा तालाब तो अंतिम सांसें ले रहा है। तालाब और इसके आसपास गंदगी का अंबार है। इसकी तस्वीर ही विचलित कर रही...

बड़ा तालाब की स्थिति कैसे सुधरेगी बताएं : हाईकोर्ट
हिन्दुस्तान टीम,रांचीSat, 26 Sep 2020 03:11 AM
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रांची के बड़ा तालाब और इसके आसपास की गंदगी देख झारखंड हाईकोर्ट ने हैरानी जताते हुए कहा कि बड़ा तालाब तो अंतिम सांसें ले रहा है। तालाब और इसके आसपास गंदगी का अंबार है। इसकी तस्वीर ही विचलित कर रही है। चीफ जस्टिस डॉ रवि रंजन और जस्टिस सुजीत नारायण प्रसाद की अदालत ने मौखिक रूप कहा ऐसा प्रतीत होता है कि इस तालाब को बचाने का कभी प्रयास नहीं किया गया। सुधार के बदले यहां की हालत नारकीय होती चली गई। यह गंभीर मामला है। जलस्त्रोतों को नहीं बचाया गया तो आने वाली पीढ़ियां हमें माफ नहीं करेंगी। अदालत ने सरकार और नगर निगम को तालाब को सुव्यवस्थित करने के लिए उठाए गए कदम और योजना पर पूरी रिपोर्ट अदालत में पेश करने का निर्देश दिया।

सुनवाई के दौरान अदालत ने जलाशयों और डैमों के किनारे अतिक्रमण की जानकारी मांगी। इस पर प्रार्थी की ओर से बड़ा तालाब और उसके आसपास की तस्वीर पेश की गई। अदाल को बताया गया कि बड़ा तालाब, कांके डैम समेत प्राय: सभी जलाशयों के किनारे अतिक्रमण किया गया है। जलाशयों के कैचमेंट एरिया को भी बदल दिया गया है। अतिक्रमण के कारण जलाशयों की स्थिति खराब हो रही है। आवासीय मोहल्लों का पानी जलाशयों में जाने से पानी प्रदूषित हो गया है, जबकि बड़ा तालाब के सौंदर्यीकरण के लिए करोड़ों रुपये खर्च किए गए हैं। सुंदरीकरण का काम वर्ष 2016 से किया जा रहा है।

सुनवाई के दौरान अदालत में मौजूद नगर विकास सचिव ने कहा कि जलाशयों के किनारे का अतिक्रमण हटाया जा रहा है। अतिक्रमण करने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जा रही है। इस पर अदालत ने पूछा कि जलाशयों और बड़ा तालाब का कभी साइंटिफिक रिसर्च हुआ है या नहीं। इस पर सचिव की ओर से बताया गया कि अभी तक कोई वैज्ञानिक रिसर्च नहीं हुआ है।

सुनवाई के बाद अदालत ने नगर विकास सचिव और नगर निगम के आयुक्त को विस्तृत रिपोर्ट पेश करने का निर्देश दिया। अदालत ने यह बताने को कहा है कि बड़ा तालाब समेत जलाशयों को संरक्षित करने के लिए क्या-क्या कदम उठाए गए हैं। जलाशयों के किनारे अतिक्रमण है या नहीं। यदि अतिक्रमण है तो उन्हें क्यों नहीं हटाया गया है। इसके साथ भावी योजनाओं की रिपोर्ट भी कोर्ट में पेश करने का निर्देश दिया।

कमेटी बनाकर किया जा रहा अध्ययन

हाईकोर्ट में नगर विकास सचिव ने बताया कि भूमिगत जल और तालाबों में आने वाले पानी के लिए कोई शोध नहीं किया गया है। लेकिन राज्य सरकार ने जल स्त्रोतों के संरक्षण और भूमिगत जल को रिचार्ज करने के लिए नियम बनाए हैं। इसके लिए रेन वाटर हार्वेस्टिंग पर जोर दिया गया है। रांची के 14 तालाबों के संरक्षण के लिए चहारदीवारी की गई है, लेकिन यहां भविष्य में सुरक्षा के लिए ग्रीन हेज लगाया जाएगा।

कोर्ट के आदेश के बाद उपायुक्त, जल संसाधन विभाग और नगर विकास के अधिकारियों के साथ बैठक हुई है। इसमें हटिया डैम और गेदलसूत डैम में पानी के स्रोतों की जानकारी के लिए एक कमेटी का गठन किया गया है, जो सभी पहलुओं पर रिसर्च करेगी। कांके डैम में हुए अतिक्रमण को लेकर सर्वे किया गया है, 97 अतिक्रमण करने वालों को चिन्हित किया गया है। एसडीओ की अध्यक्षता में एक कमेटी बनाई गई है, जो धुर्वा डैम, बड़ा तालाब और 14 अन्य तालाबों के बारे में स्टडी करेगी।

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