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नए श्रम कानून के विरोध में सड़क पर उतरे कर्मचारी, 100 करोड़ से अधिक के नुकसान की आशंका

नए श्रम कानूनों के विरोध में केंद्रीय श्रमिक संगठनों के आह्वान पर राष्ट्रव्यापी हड़ताल का असर राज्य में भी दिखा। राजधानी रांची में श्रमिक संगठनों के...

नए श्रम कानूनों के विरोध में केंद्रीय श्रमिक संगठनों के आह्वान पर राष्ट्रव्यापी हड़ताल का असर राज्य में भी दिखा। राजधानी रांची में श्रमिक संगठनों के...
1/ 3नए श्रम कानूनों के विरोध में केंद्रीय श्रमिक संगठनों के आह्वान पर राष्ट्रव्यापी हड़ताल का असर राज्य में भी दिखा। राजधानी रांची में श्रमिक संगठनों के...
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हिन्दुस्तान टीम,रांचीThu, 26 Nov 2020 08:11 PM
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रांची। संवाददाता

नए श्रम कानूनों के विरोध में केंद्रीय श्रमिक संगठनों के आह्वान पर राष्ट्रव्यापी हड़ताल का असर राज्य में भी दिखा। राजधानी रांची में श्रमिक संगठनों के साथ राज्य के विभिन्न कर्मचारी संगठन, बैंकिंग कर्मचारी, एलआईसी, सीसीसीएल व सीएमपीडीआई सहित तमाम क्षेत्रों से जुड़े कर्मचारियों ने सरकार की नीतियों के विरोध में हड़ताल किया। इस हड़ताल से 100 करोड़ से अधिक के नुकसान की आशंका जताई जा रही है।

अल्बर्ट एक्का चौक पर करीब 100 की संख्या में पहुंचे कर्मचारियों ने अपनी मांगों को दोहराते हुए प्रदर्शन किया। सीसीएल और सीएमपीडीआई के कर्मचारी संगठनों ने भी हड़ताल को समर्थन दिया। सीएमपीडीआई मुख्यालय के बाहर भी कर्मचारियों ने प्रदर्शन किया।

कोयला क्षेत्र में खनन, उत्पादन और डिस्पैच का काम प्रभावित होने से सीसीएल को 45 से 50 करोड़ रुपए के नुकसान का अनुमान है। नेशनल कोल ऑर्गेनाइजेशन इंप्लाईज एसोसिएशन (एनसीओईए) के महासचिव आरपी सिंह ने कहा कि 40 प्रतिशत काम मैनूअली होता है, जिसका पूरा नुसकान हुआ। वहीं, सीएमपीडीआई को 33 करोड़ से अधिक का नुकसान हुआ। सीटू के महासचिव प्रकाश विप्लव ने कहा कि कोयला उद्योग में सीसीएल और ईसीएल में कोयला का उत्पादन और ढुलाई पूरी तरह ठप्प रहा। सीएमपीडीआई मुख्यालय में पूर्णतः हड़ताल रहा, लेकिन बीसीसीएल में हड़ताल का असर आंशिक रहा। झारखंड में निजी समेत सभी बैंकों (एसबीआई को छोड़कर) और बीमा कंपनियों में पूर्णतः कामकाज बंद रहा। आंगनबाड़ी, सहिया, मिड-डे मील वर्कर, पाराशिक्षक और राज्य सरकार के कर्मचारी भी हड़ताल पर रहे, लेकिन केंद्र सरकार के कार्यालयों में हड़ताल का आंशिक असर रहा।

कर्मचारी महासंघ ने किया समर्थन :

अखिल भारतीय राज्य सरकारी कर्मचारी महासंघ की अपील पर झारखंड राज्य अराजपत्रित कर्मचारी महासंघ ने भी हड़ताल को समर्थन देते हुए सरकारी कार्यों को बंद रखा। महासंघ के कार्यालय मंत्री शिवेश कुमार ने कहा कि बीमा सहित सार्वजनिक उपक्रमों का निजीकरण, किसान विरोधी नीति, महंगाई भत्ता व वेतन पर रोक, अनुबंध एवं आउटसोर्सिंग प्रथा, नई पेंशन योजना, जबरन सेवानिवृत्ति आदि आदेश के विरोध में हमने हड़ताल का समर्थन किया है। नवीन चौधरी ने कहा कि हड़ताल सफल रहा। सरकार को हमारी मांगों पर ध्यान देना ही होगा और अपनी कर्मचारी विरोधी नीति बदलनी ही होगी।

केंद्रीय कर्मचारी एवं अधिकारी परिसंघ ने किया प्रदर्शन :

केंद्रीय कर्मचारी एवं अधिकारी परिसंघ ने हड़ताल का समर्थन किया। परिसंघ के अध्यक्ष डॉ सहदेव राम ने बताया कि कुछ विभागों में आंशिक हड़ताल हुई, लेकिन कई कार्यालयों में प्रदर्शन किया गया और कामकाज प्रभावित रहा। उन्होंने कहा कि 48 लाख केंद्रीय कर्मचारियों एवं 65 लाख पेंशन भोगियों के महंगाई भत्ता पर 1 जनवरी, 2020 से 1 जनवरी, 2021 तक रोक लगा दी गई है, जिसे हटाना चाहिए। कर्मचारी सेवा नियमावली के आधार पर कर्मचारियों की 30 वर्षों की सेवा या 55 वर्ष की उम्र, जो सबसे पहले हो सेवानिवृत्त करने का आदेश वापस होना चाहिए। निजीकरण सरकार द्वारा थोपा जा रहा है। संगठन इसका भी विरोध करता है। पुरानी पेंशन योजना लागू करने और रिक्त पदों पर बहाली की मांग संगठन कर रहा है। उन्होंने कहा कि प्रदर्शन के बाद उक्त मांगों के संबंध में भारत सरकार के कैबिनेट सचिव को अनुरोध पत्र भेजा गया है।

सरकार के इन फैसलों के खिलाफ हड़ताल :

सभी मजदूर विरोधी श्रम कोड एवं किसान विरोधी कानून वापस लेने, न्यूनतम वेतन प्रतिमाह 24000 करवाने, बैंक, बीमा, रेलवे, रक्षा, पेट्रोलियम, बंदरगाह, एयरपोर्ट सहित सार्वजनिक क्षेत्र के निजीकरण के खिलाफ, निजी व सरकारी क्षेत्र के छंटनीग्रस्त श्रमिकों एवं कर्मचारियों की रोजगार बहाली, गैर आयकरदाता परिवारों को हर महीना 7500 रुपये देने, जरूरतमंदों को प्रतिमाह 10 किलो मुफ्त अनाज देने, मनरेगा में 200 दिन काम और 600 रुपये मजदूरी देने एवं इसका शहरी क्षेत्र में विस्तार करने, सरकारी विभागों में कार्यरत सभी अस्थाई संविदा/कर्मचारियों को स्थाई करने, नई स्थाई बहाली करने, पुरानी पेंशन नीति लागू करने, सभी परियोजनाकर्मियों को सरकारी कर्मचारी का दर्जा देने, निर्माण श्रमिक कल्याण बोर्ड के कार्यकलाप को पारदर्शी बनाने, प्रवासी मजदूरों का पंजीकरण और सुविधा लाभ देने, परिवहन कामगारों के लिए सामाजिक सुरक्षा कानून बनाने और कमर्शियल माइनिंग का फैसला रद्द करने की मांगों को लेकर हड़ताल किया गया।

एचईसी में हड़ताल का असर नहीं

हड़ताल का एचईसी पर कोई असर नहीं दिखा। इसके तीनों प्लांटों में सामान्य दिनों की तरह काम हुआ और कर्मचारियों की स्थिति भी सामान्य दिनों की तरह रही। काम पर जाने पर भी कोई रोक-टोक नहीं हुई। एहतियात के तौर पर सुबह छह बजे की शिफ्ट में जाने वाले कई कर्मचारी सुबह पांच बजे ही प्लांट पहुंच गए थे, ताकि किसी प्रकार का व्यवधान न हो। सीटू से संबद्ध हटिया मजदूर यूनियन ने विभिन्न प्लांटों के सामने प्रदर्शन और नारेबाजी की।

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