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मरीजों का बटर खा रहे कर्मचारी, हर दिन लगभग डेढ़ क्विंटल फल की हेराफेरी

रिम्स में मरीजों को बेहतर भोजन के नाम पर व्यवस्था बेशक आउटसोर्स कर दी गई, लेकिन उन्हें लाभ की बजाए नुकसान हो रहा है। प्लास्टिक की थाली में पैक कर भोजन जरूर दिया जा रहा है, लेकिन उसकी मात्रा और...

मरीजों का बटर खा रहे कर्मचारी, हर दिन लगभग डेढ़ क्विंटल फल की हेराफेरी
हिन्दुस्तान टीम,रांचीSun, 30 Jul 2017 02:24 AM
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रिम्स में मरीजों को बेहतर भोजन के नाम पर व्यवस्था बेशक आउटसोर्स कर दी गई, लेकिन उन्हें लाभ की बजाए नुकसान हो रहा है। प्लास्टिक की थाली में पैक कर भोजन जरूर दिया जा रहा है, लेकिन उसकी मात्रा और गुणवत्ता सुधरने की बजाए और खराब हो गई है।
हद तो यह है कि मेन्यू में अलग-अलग व्यंजन जरूर चढ़ाए गए, लेकिन मरीजों की थाली में कुछ व्यंजन गायब हैं, तो कुछ की मात्रा आधी भी नहीं है। बटर गायब है, जबकि किचेन कर्मी बटर के साथ सत्तू का पराठा खा रहे हैं। कागज में तो 100 ग्राम कॉर्न फ्लेक्स और 250 ग्राम दूध दिया जा रहा है, जबकि थाली में बमुश्किल 50 ग्राम कॉर्न फ्लेक्स पहुंच रहा है। हद है कि मरीजों को बेहतर भोजन देने के नाम पर करोड़ों खर्च कर चुके रिम्स प्रबंधन के पास न तो गुणवत्ता और न ही मात्रा मापने के कोई यंत्र है। यही वजह है कि अबतक कभी भोजन की जांच नहीं की गई है। इधर, डायटीशियन मीनाक्षी कुमारी का कहना है कि मरीजों को बटर दिया गया, लेकिन सभी ने यह कहकर फेंक दिया कि ब्रेड में दाल लगा है।
विधानसभा समिति के निर्देश का पालन नहीं
विधानसभा की लोक लेखा समिति ने 20 जुलाई को किचेन का निरीक्षण कर भोजन की गुणवत्ता और वहां की बदहाल स्थिति देखकर नाराजगी जाहिर की थी। साथ ही मरीजों को मैदा की जगह आटे का ब्रेड देने का निर्देश दिया गया, लेकिन किचेन प्रबंधन ने आदेश का पालन करना भी मुनासिब नहीं समझा। हद यह है कि जिस मेन्यू में दो दिन चार रोटी, सब्जी, 250 ग्राम दूध, 200 ग्राम फल और एक उबला अंडा, दो दिन तीन ईडली, सांबर, चटरी, 200 मिली दूध और एक अंडा देना है, इनकी जगह भी ब्रेड दिया जा रहा है।
हर माह लाखों की हेराफेरी
हर दिन नास्ते में 250 ग्राम दूध और 200 ग्राम फल देना है। खाने में हर दिन चावल, दाल व सब्जी के साथ 100 ग्राम दही देना है। पहले 100 ग्राम दही का पैकेट दिया जाता था, लेकिन अब जो दही दी जा रही है, वह बमुश्किल 50 ग्राम है, जिसमें आधा पानी होता है। हर दिन करीब 1300 मरीजों को 200 ग्राम की बजाए महज 100 ग्राम फल दिया जा रहा है। यानी एक दिन में लगभग डेढ़ क्विंटल फल, करीब 70 किलो दही और हजारों रुपए के बटर का घालमेल किया जा रहा है। इस प्रकार अन्य खाद्य सामग्री में भी धांधली हो रही है।

आज डायटीशियन और एजेंसी के सुपरवाईजरों को बुलाकर बात की कि मरीजों को समुचित मात्रा में खाना क्यों नहीं मिलता है। दिखाने की थाली और खिलाने की थाली में इतना अंतर कैसे होता है। अब औचक निरीक्षण करेंगे। फिर एजेंसी के खिलाफ कार्रवाई करेंगे।
डॉ गोपाल प्रसाद श्रीवास्तव, उपाधीक्षक, रिम्स

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