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शोध के क्षेत्र में विभिन्न संभावनाओं पर उभरे विचार

सेंट जेवियर्स कॉलेज और ओपनकॉन यूएसए की ओर से शनिवार को शोध के क्षेत्र में संभावनाओं पर आधारित संगोष्ठी ओपनकॉन-2017 का आयोजन किया गया। इसमें मुख्य अतिथि के रूप में यूनिवसिर्टी ऑफ प्रिटोरिया की प्रो...

शोध के क्षेत्र में विभिन्न संभावनाओं पर उभरे विचार
हिन्दुस्तान टीम,रांचीSun, 27 Aug 2017 01:46 AM
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सेंट जेवियर्स कॉलेज और ओपनकॉन यूएसए की ओर से शनिवार को शोध के क्षेत्र में संभावनाओं पर आधारित संगोष्ठी ओपनकॉन-2017 का आयोजन किया गया। इसमें मुख्य अतिथि के रूप में यूनिवसिर्टी ऑफ प्रिटोरिया की प्रो नम्रिता लाल मौजूद थीं। संगोष्ठी में बिलासपुर, बंगलुरू, मुंबई, अहमदाबाद, मुरादाबाद, बरेली, इलाहाबाद, गोपालगंज, आरा, पाकुड़, पटना आदि से आए प्रतिभागियों ने हिस्सा लिया।कार्यक्रम की शुरुआत करते हुए प्राचार्य फादर निकोलस टेटे ने कहा कि कि बेहतर शोध कम हो रहे हैं। इसकी एक वजह यह भी है कि शोधार्थियों में जानकारी का अभाव है। ऐसे में ओपनकॉन जैसे आयोजन शोधार्थियों का मार्गदशन करेंगे। कार्यक्रम में उप प्राचार्य फादर नोबोर लकड़ा, प्रो चिनसिन, डॉ प्रसेनजीत, डॉ नीरज कुमार, डॉ मधुलिका सिंह और ओपनकॉन आयोजक कॉलेज के बॉटनी विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ अजय श्रीवास्तव मौजूद थे।नम्रिता लाल ने शोध के क्षेत्र में अपने अनुभव साझा किए। उन्होंने बताया कि उनकी स्कूली शिक्षा रांची से हुई। सेंट जेवियर्स कॉलेज से उन्होंने स्नातक करने के बाद साउथ अफ्रीका से पीजी और पीएचडी की। उन्होंने बताया कि दक्षिण अफ्रीका और झारखंड में औषधीय पौधों के इस्तेमाल को लेकर काफी समानताएं हैं। वहां के लोग भी विभिन्न बीमारियों की रोकथाम में औषधीय पौधों के गुणों से परिचित हैं। डॉ नम्रिता लाल ने कैंसर सेल, कॉस्मोसुटिकल आदि पर काम किया है। उन्होंने बताया कि विकसित देशों में त्वचा कैंसर का खतरा काफी है। इसकी रोकथाम में औषधीय पौधे काम आ रहे हैं। उन्होंने शोधार्थियों को शोध के नए विषयों पर काम करने के लिए प्रेरित किया। साथ ही, हर संभव सहयोग देने की बात कही।कॉलेज के जूलॉजी विभाग की विभागाध्यक्ष डॉ भारती सिंह रायपत ने शोध के विभिन्न आयामों के बारे में बताया। राष्ट्रीय एड्स अनुसंधान संस्थान पुणे के शोधकर्ता डॉ सुधांशु पांडेय ने साहित्यिक चोरी और ओपन एक्सेस संबंधित भुगतान विषय पर विस्तार से चर्चा की। फादर पी सोरेंग ने शोध के अधिकार और बीएयू के डॉ नीरज कुमार ने ऑनलाइन/ऑफलाइन जर्नल के बारे में बताया। डॉ ब्रज किशोर सिन्हा ने रेफरेंसिंग और डाटा माइनिंग पर चर्चा की। रमेश कुमार ने ई जर्नल और उके उपयोग के बारे में बताया। डॉ सी जगनाथन ने आर सॉफ्टवेयर के इस्तेमाल की जानकारी दी। संगोष्ठी में 150 से अधिक पीएचडी छात्रों, शोधार्थियों, शिक्षकों से हिस्सा लिया।

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