सीयूजे कुलपति ने मुख्यमंत्री को भू माफियाओं के आतंक व निर्माण में आ रही बाधा से अवगत कराया
फोटो है रांची, विशेष संवाददाता। केंद्रीय विश्वविद्यालय झारखंड (सीयूजे), के कुलपति प्रो क्षिति भूषण

रांची, विशेष संवाददाता। केंद्रीय विश्वविद्यालय झारखंड (सीयूजे), के कुलपति प्रो क्षिति भूषण दास ने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन और विधायक कल्पना सोरेन से मिलकर विश्वविद्यालय के चेड़ी-मनातू स्थित स्थायी परिसर में निर्माण कार्यों में आ रही बाधा और भू-माफियाओं के आतंक की जानकारी। मंगलवार को कुलपति मुख्यमंत्री आवास में हेमंत सोरेन से मिले और विश्वविद्यालय परिसर के निर्माण को लेकर आ रही परेशानियों से सीएम को अवगत कराते हुए उन्हें ज्ञापन भी सौंपा। मुख्यमंत्री ने विश्वविद्यालय के जुड़ी समस्याओं को लेकर संबंधित अधिकारियों को उचित निर्देश देने का आश्वासन दिया। सीयूजे की स्थापन 1 मार्च 2009, में की गई। जिसमें अभियांत्रिकी, विज्ञान, कला-संस्कृति व अन्य व्यवसायिक क्षेत्रों से संबंधित पाठ्यक्रम को खोलने के मद्देनजर, भारत सरकार ने 500 एकड़ भूमि की आवश्यकता निर्धारित की थी। इसके तहत केंद्रीय विश्वविद्यालय की स्थापना के लिए 500 एकड़ भूमि के साथ स्थायी परिसर के लिए पहुंच पथ, विद्युत आपूर्ति व जलापूर्ति की व्यवस्था की आवश्यकता बताई गई, जिसे राज्य सरकार से निःशुल्क उपलब्ध कराया जाना था। इसके मद्देनजर राजस्व और भूमि सुधार विभाग, झारखंड सरकार की ओर से चेड़ी-मनातू में 319.28 एकड़ गैरमजरूआ भूमि विश्वविद्यालय को हस्तांतरित की गई । इस भूमि के अतिरिक्त 70.71 एकड़ गैरमजरूआ भूमि में से 59.97 एकड़ गैरमजरूआ भूमि विश्वविद्यालय को हस्तांतरित की जा चुकी है, लेकिन ग्रामीणों के विरोध के कारण इस भूमि पर विश्वविद्यालय का अधिग्रहण नहीं हो पाया है। इसके अलावा 139.17 एकड़ रैयती भूमि में से प्रथम चरण में 15.82 एकड़ रैयती भूमि के अधिग्रहण की प्रक्रिया राज्य सरकार की ओर से की जा रही है और शेष 123.35 एकड़ रैयती भूमि राज्य सरकार की ओर से अधिग्रहण कर विश्वविद्यालय को हस्तांतरित किया जाना है।
कुलपति ने बताया कि विश्वविद्यालय को हस्तांतरित भूमि और भविष्य में राज्य सरकार से विश्वविद्यालय को हस्तांतरित की जानेवाले प्रस्तावित रैयती और गैरमजरूआ भूमि को भू-माफिया अवैध रूप से खरीद-बिक्री कर रहे हैं। वहीं, ग्रामीण भी मुआवजे की मांग को लेकर आए दिन विरोध कर निर्माण कार्य रुकवा देते हैं। बीते सोमवार को भी दिन में विश्वविद्यालय के प्रशासनिक भवन के अंदर ग्रामीणों ने धरना-प्रदर्शन किया। कुलपति ने कहा कि इस भूमि का अधिग्रहण करना आवश्यक है, ताकि विश्वविद्यालय के द्वितीय चरण का निर्माण कार्य शुरू हो सके, जिसके अंतर्गत विश्वविद्यालय के अकादमिक भवन, शिक्षकों व कर्मचारियों के लिए स्टाफ क्वार्टर, अतिथि गृह, कुलपति आवास, क्रीड़ा स्थल, मार्केट कम्पलेक्स व उपयुक्त चौड़ाई वाले पहुंच पथ का भी निर्माण भी किया जाना है। राज्य सरकार ने भू-अर्जन कार्यालय, को पहुंच पथ के निर्माण के लिए राशि निर्गत कर दी है, लेकिन इसका निर्माण कार्य अबतक लंबित है।
सीयूजे प्रशासन ने 139.17 एकड़ रैयती भूमि का अधिग्रहण कर विश्वविद्यालय को हस्तांतरित करले की मांग की, ताकि इसे भू-माफियाओं से बचाया जा सके। साथ ही, रिंग रोड से विश्वविद्यालय तक पहुंच पथ का निर्माण, जलापुर्ति की व्यवस्था की और विश्वविद्यालय में पुलिस चौकी स्थापित करने की मांग की। सीएम से मुलाकात के दौरान सीयूजे के पीआरओ नरेंद्र कुमार भी मौजूद थे।
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