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मरीजों के लिए संकट, मंहगा हुआ खून

जीवन रक्षक खून अब मंहगा हो गया है। हालांकि, सरकारी ब्लड बैंकों में मरीजों को अभी भी मुफ्त में ही खून मिलेगा। पर निजी ब्लड से खून खरीदने पर अब ज्यादा...

मरीजों के लिए संकट, मंहगा हुआ खून
हिन्दुस्तान टीम,रांचीThu, 21 Jan 2021 11:59 PM
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परेशानी :

निजी ब्लड बैंकों को दान में मिले खून से कमाई करने की छूट

निजी ब्लड बैंकों को 1050 के बजाए 1450 रुपए तक लेने की अनुमति

रांची। हिन्दुस्तान ब्यूरो

जीवन रक्षक खून अब मंहगा हो गया है। हालांकि, सरकारी ब्लड बैंकों में मरीजों को अभी भी मुफ्त में ही खून मिलेगा। पर निजी ब्लड से खून खरीदने पर अब ज्यादा पैसे देने पड़ेंगे। सरकार ने निजी ब्लड बैंकों को स्वैच्छिक रक्तदान में मिले ब्लड से न सिर्फ कमाई करने की छूट दे दी है, बल्कि एक यूनिट ब्लड के लिए पूर्व से निर्धारित 1050 रुपए के प्रोसेसिंग चार्ज को बढ़ाकर 1450 रुपए तक लेने की अनुमति प्रदान कर दी है।

साथ ही अन्य जांच किए जाने पर अतिरिक्त शुल्क लेने की भी आजादी दी गई है। यह निर्णय ब्लड ट्रांसफ्यूजन सर्विस एवं प्रोसेसिंग चार्ज को लेकर गठित विभागीय संयुक्त सचिव चंद्रकिशोर उरांव की अध्यक्षता में कमेटी की बैठक में लिया गया है। कमेटी में जेसेक्स के अलावा रिम्स, सदर व अन्य ब्लड बैंक के प्रभारी भी उपस्थित थे।

कंपोनेंट एवं उसका शुल्क (रुपए में)

होल ब्लड : 1450

पैक्ड रेड सेल : 1450

फ्रेश फ्रोजेन प्लाज्मा : 400

प्लेटलेट कंसंट्रेट : 400

क्रायोप्रेसिप्रिटेट : 250

विशेष जांच का अलग चार्ज :

कमेटी ने कहा कि विशेष जांच नियमित रूप से नहीं की जाती है। जैसे इलाज करने वाले डॉक्टर के परामर्श के बगैर एंटी एचबीसी, ल्यूको फिल्ट्रेशन प्लेटलेट, ल्यूको फिल्ट्रेशन रेड सेल्स, फिनोटाईपिंग, इरेडिएशन एंड बैक्टेरियल डिटेक्शन नहीं किये जा सकते हैं। रिक्यूजिशन फॉर्म पर लिखे होने के बाद यदि इस तरह की जांच की जाती है, तो एनबीटीसी की गाईडलाईन के अनुसार उसका शुल्क अलग से लिया जा सकता है। यह प्रावधान पहले भी था, जिसका ब्लड बैंक गलत फायदा उठाते हैं। अनावश्यक रूप से एक जांच होल ब्लड का किए जाने के बाद उसी जांच का शुल्क एफएफपी व प्लेटलेट आदि में भी जोड़कर ले लेते हैं।

मुफ्त ब्लड देने में आनाकानी :

थैलेसीमिया, हीमोफीलिया व सिकल सेल एनीमिया मरीजों के लिए निजी ब्लड बैंकों में भी मुफ्त रक्त देने का प्रावधान है। लेकिन ऐसा होता नहीं है। निजी ब्लड बैंक में जाने पर ये लोग मरीज के परिजनों को मना तो नहीं करते, लेकिन सुबह से शाम और आज नहीं कल करते-करते इतना परेशान कर देते हैं कि मरीज के परिजन वहां जाना नहीं चाहते हैं।

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