Hindi NewsJharkhand NewsRanchi NewsCourt Acquits Three Accused in 2018 Murder Case of School Principal and Adopted Son Due to Lack of Evidence
मां-बेटे की दोहरे हत्याकांड के तीन और आरोपी साक्ष्य के अभाव में बरी

मां-बेटे की दोहरे हत्याकांड के तीन और आरोपी साक्ष्य के अभाव में बरी

संक्षेप: रांची में किंग लैंड स्कूल की प्रिंसिपल आरती कुमारी और उनके दत्तक पुत्र रितेश के हत्या के मामले में तीन आरोपियों को अदालत ने बरी कर दिया। अभियोजन पक्ष ने पर्याप्त साक्ष्य पेश नहीं किए, जिसके कारण...

Wed, 20 Aug 2025 09:33 PMNewswrap हिन्दुस्तान, रांची
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रांची, संवाददाता। बरियातू की डॉक्टर कॉलोनी स्थित आवास में किंग लैंड स्कूल की प्रिंसिपल आरती कुमारी और उनके 10 वर्षीय दत्तक पुत्र रितेश के हत्याकांड से जुड़े सात साल पुराने मामले में ट्रायल फेस कर रहे तीन आरोपियों को अदालत ने बुधवार को पर्याप्त साक्ष्य के अभाव में बरी कर दिया है। अपर न्यायायुक्त पवन कुमार की अदालत में चली सुनवाई के दौरान अभियोजन पक्ष हत्याकांड में तीनों आरोपियों का हाथ साबित करने में नाकाम रहा। अदालत ने आशीष घोष, राजेश कुमार भगत उर्फ गुड्डू और राहुल कुमार सिंह को बरी किया। दोनों की हत्या 12 जुलाई 2018 को कर दी गई थी।

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घटना को लेकर बरियातू थाने में पटना के कंकड़बाग निवासी राज कुमार उर्फ राजू ने 13 जुलाई 2018 को अज्ञात के खिलाफ दर्ज कराई थी। पुलिस ने जांच के क्रम में उक्त तीनों के साथ जय कुमार सिंह और सोहराई लोहरा को गिरफ्तार किया था। इसमें डकैती के दौरान लूटपाट करने में दोनों की हत्या कर दी गई थी। जय कुमार सिंह और सोहराई लोहरा को बीते 30 जून को अपर न्यायायुक्त 5 की अदालत ने साक्ष्य के बरी किया था। शुरुआती जांच में सामने आया था कि आरती के पति सीतेश कुमार ने निधन से पहले अपनी संपत्ति का वारिस बेटे रितेश को बना दिया था, जिससे परिवार के लोग नाराज थे और हत्या के पीछे संपत्ति विवाद की आशंका जताई गई थी। लंबी सुनवाई के बाद अदालत ने माना कि अभियोजन पक्ष आरोप साबित करने में विफल रहा। लिहाजा आरोपियों को संदेह का लाभ देते हुए बरी कर दिया गया। अर्थात कहा जाए तो दोनों मां-बेटे की हत्या किसने की पुलिस वहां तक नहीं पहुंच पाई। बरामद सामान को कोर्ट में नहीं किया प्रस्तुत गवाह पेश किए, लेकिन किसी ने भी प्रत्यक्ष रूप से घटना नहीं देखी। बरामद सामान को कोर्ट में प्रस्तुत नहीं किया गया और न ही टेस्ट आइडेंटिफिकेशन परेड (टीआईपी) कराई गई। सीसीटीवी व डीवीआर से भी कोई ठोस साक्ष्य सामने नहीं आया। बरामद सामान और मोबाइल को भी आरोपियों से जोड़ने के सबूत नहीं मिले। गवाहों ने कहा कि उन्होंने हत्या होते नहीं देखा, बाद की स्थिति जानी। अदालत ने पाया कि अभियोजन आरोपियों और अपराध के बीच कनेक्टिंग चैन स्थापित नहीं कर सका।