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पूर्णिमा के साथ 23 नवंबर को होगा देव मास का समापन, कथा सुनने वालों को मिलता है पाप से छुटकारा

कार्तिक माह को सभी महीनों में सबसे ज्यादा पवित्र माना जाता है। यह माह हरि जागरण की बेला है। पूर्णिमा के साथ देव मास का 23 नवंबर को समापन होगा। 28 दिन से सनातनी समाज के लोग धर्म शास्त्र के अनुसार...

पूर्णिमा के साथ 23 नवंबर को होगा देव मास का समापन, कथा सुनने वालों को मिलता है पाप से छुटकारा
रांची, संवाददाताWed, 21 Nov 2018 10:31 PM
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कार्तिक माह को सभी महीनों में सबसे ज्यादा पवित्र माना जाता है। यह माह हरि जागरण की बेला है। पूर्णिमा के साथ देव मास का 23 नवंबर को समापन होगा। 28 दिन से सनातनी समाज के लोग धर्म शास्त्र के अनुसार देवी-देवताओं की आराधना के साथ खानपान में भी पथ्य-परहेज रखे हुए हैं। श्री लक्ष्मी वेंकटेश्वर और महामाया लक्ष्मी की आराधना के लिए विशेष काल होने के कारण श्रद्धालु घर के अलावा बाहर भी सात्विक भोजन पर ज्यादा जोर दे रहे हैं।
श्री विष्णु एवं महामाया की हो रही आराधना
देवमास में श्रद्धालु श्री विष्णु एवं महामाया लक्ष्मी की आराधना एवं दर्शन कर सुख-समृद्धि की कामना कर रहे हैं। धर्मशास्त्रों के अनुसार इस माह में सभी देवताओं की महत्ती कृपा भक्तों पर होती है और प्राणियों का कल्याण होता है। पूरे कार्तिक माह में श्रद्धालुओं को वैष्णवी बनकर श्री नारायण (श्री लक्ष्मी वेंकटेश्वर) एवं लक्ष्मी की पूजा से भक्तों पर कृपा बरसती है। पूरे माह बड़ी संख्या में श्रद्धालु सुबह एवं शाम में घरों एवं मंदिरों के अलावा तुलसी पिंड पर घी का दीपक प्रज्ज्वल्लित कर पूजा-अर्चना कर रहे हैं। 

भक्त कर रहे हैं कार्तिक महात्मय का श्रवण
देवमास कार्तिक में कार्तिक महात्मय कथा का श्रवण सनातनी समाज के लोग कर रहे हैं। गुरुवार एवं शुक्रवार को भी श्रद्धालु कथा सुनेंगे। मान्यता है कि कथा सुनना पुण्यकारी है। कथा में देवी-देवताओं की कथा के अलावा कार्तिक में भक्तों के लिए नियमों के पालन का वर्णन है। शास्त्रीय दृष्टिकोण से कथा सुनने वाले जातक को पाप से छुटकारा मिल जाती है। आयु पूर्ण करने के बाद जीवात्मा बैकुंठ को प्राप्त करता है। 

क्या कहते हैं ज्योतिषाचार्य 
ज्योतिषाचार्य आचार्य श्रीकृष्ण कार्तिक ने कहा कि माह हरि जागरण की बेला है। देव मास के शेष दो दिन तक बालाजी का दर्शन एवं घरों में तुलसी पिंड पर घी का दीपक प्रज्ज्वल्लित करना अति फलदायी होगा। 

 
 

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