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सुप्रीम कोर्ट से शिकायत, वकीलों के बीच बरपा हंगामा

झारखंड की न्यायपालिका में इन दिनों हलचल है। यहां सब कुछ ठीक नहीं चल रहा है। चीफ जस्टिस के झालसा, न्यायिक अकादमी और सेंट्रल लॉ यूनिवर्सिटी की ऑडिट कराने के आदेश की चंद दिन बाद जिस तरीके से समीक्षा कर...

सुप्रीम कोर्ट से शिकायत, वकीलों के बीच बरपा हंगामा
हिन्दुस्तान टीम,रांचीThu, 22 Jun 2017 11:29 PM
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झारखंड की न्यायपालिका में इन दिनों हलचल है। यहां सब कुछ ठीक नहीं चल रहा है। चीफ जस्टिस के झालसा, न्यायिक अकादमी और सेंट्रल लॉ यूनिवर्सिटी की ऑडिट कराने के आदेश की चंद दिन बाद जिस तरीके से समीक्षा कर आदेश वापस ले लिया गया, वह वकीलों की नजर में उचित नहीं है। वकीलों का मानना है कि चीफ जस्टिस के आदेश पर पुनर्विचार चीफ जस्टिस ही करते हैं। कोई विशेष खंडपीठ (जिसमें जूनियर जज हों) नहीं कर सकता। वकीलों के अनुसार चीफ जस्टिस यदि किसी की जमानत खारिज करते हैं, तो दोबारा जमानत के लिए याचिका उन्हीं के पास जाती है। ऐसे में इस आदेश पर पुनर्विचार करने की जल्दबाजी क्यों दिखाई गई। समीक्षा के बाद आदेश वापस लेकर मामला समाप्त करने के फैसले के बाद वकीलों में रोष है। वकील इसे गलत मान रहे हैं और इसके खिलाफ आंदोलन करने की भी तैयारी में हैं। उनका कहना है कि यदि सभी संस्थानों में सबकुछ ठीक है, तो ऑडिट के आदेश से परेशानी क्या हो गई। इसका मतलब है कि सबकुछ ठीक नहीं है। कुछ वकीलों का कहना है कि सुप्रीम कोर्ट को भी सभी बातों से अवगत करा दिया गया है। जरूरत पड़ी, तो आदेश को चुनौती दी जाएगी। झालसा, एकेडमी और विवि की ऑडिट हो चीफ जस्टिस पीके मोहंती की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने छह जून को एक पत्र को जनहित याचिका में तब्दील कर झालसा, न्यायिक एकेडमी और सेंट्रल लॉ यूनिवर्सिटी की ऑडिट कराने का आदेश दिया था। कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि पत्र में तीनों संस्थान में वित्तीय समेत अन्य गड़बड़ी बताई गई है। इसके बाद उन्होंने झारखंड के प्रधान महालेखाकार को सीएजी के निर्देशन में संस्थानों की ऑडिट करने का आदेश दिया। 50 सदस्यों ने बार काउंसिल को लिखा पत्र आदेश के दूसरे दिन बार एडवोकेट एसोसिएशन के 50 सदस्यों ने बार काउंसिल को पत्र लिखका पूरे मामले में बैठक बुलाने की मांग की। इसपर बार काउंसिल की ओर से एसोसिएशन को कहा गया कि वह खुद बैठक कर इसपर निर्णय ले। काउंसिल के निर्देश के बाद 21 जून को एसोसिएशन की कार्यकारिणी कमेटी की बैठक हुई। तय किया गया कि 22 जून को बार काउंसिल के अध्यक्ष और सदस्यों की बैठक कर आगे की रणनीति तय की जाएगी। जो निर्णय लिया जाएगा, उससे जेनरल बॉडी की बैठक बुलाकर सूचित किया जाएगा। नहीं हो सकी बैठक, एसोसिएशन पर खड़े किए सवाल 22 जून को बार काउंसिल के अध्यक्ष और अन्य पदधारियों के मौजूद नहीं रहने से बैठक नहीं हो सकी। इसके बाद वकीलों का आक्रोश और बढ़ गया है। एडवोकेट एसोसिएशन के पदधारियों की भूमिका पर भी सवाल खड़ा किया जा रहा है। वकीलों के एक बड़े वर्ग का कहना है कि एसोसिएशन और काउंसिल एक-दूसरे के पाले में गेंद फेंक रहे हैं। इस मामले में एसोसिएशन को निर्णय लेना चाहिए, लेकिन एसोसिएशन काउंसिल के पाले में गेंद फेंककर अपनी भूमिका से मुकर रहा है।

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