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कब्र की गर्मी तो मुर्दा ही पहचाने ........

औरत क्या है एक कुंआरा क्या जाने, कब्र की गर्मी तो मुर्दा ही पहचाने ...। धमचक मुलथानी के इस कविता के पढ़ते ही मयूरी हॉल ठहाकों से गूंज उठा। मौका था सीएमपीडीआई के तत्वावधान में आयोजित अखिल भारतीय हास्य...

कब्र की गर्मी तो मुर्दा ही पहचाने ........
हिन्दुस्तान टीम,रांचीSat, 23 Sep 2017 11:42 PM
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औरत क्या है एक कुंआरा क्या जाने, कब्र की गर्मी तो मुर्दा ही पहचाने ...। धमचक मुलथानी के इस कविता के पढ़ते ही मयूरी हॉल ठहाकों से गूंज उठा। मौका था सीएमपीडीआई के तत्वावधान में आयोजित अखिल भारतीय हास्य कवि सम्मेलन का। इसका उदघाटन कंपनी के सीएमडी शेखर सरन ने किया। कवि सम्मेलन की शुरुआत कवियत्री व्यंजना शुक्ला की वंदना से हुई। इसके बाद उन्होंने ‘तन को चाहे जितना रंग लो, कोई फर्क नहीं होगा। मन को जिस दिन रंग लोगे, ये वृंदावन हो जाएगा श्रोताओं का खूब भाया। लक्ष्मण नेपाली ने अपनी छोटी कविता में बड़ी बात कहकर श्रद्धोताओं का दिल जीत लिया। उन्होंने कहा ‘जब-जब कागज पर लिखा, मैंने मां का नाम। कलम अदब से कह उठी, हो गए चारों धाम। धम चक मुलथानी ने देशभक्ति से ओतप्रोत कविता पढ़कर श्रोताओं में जोश भर दिया। उन्होंने कहा ‘चीन तू युद्ध तो शुरू कर, हम भी जी जान से लड़ेंगे। सन बासठ में खोदी थी खाई, उसे हम तेरी लाशों से भरेंगे। देश में छप्पन इंच सीने वाला रहते हैं, जो धमाकों से नहीं डरते, तेरी धमकी से क्या डरेंगे। प्रदीप चौबे ने ‘देख कर आदमी के चेहरे को चुटकुले तक उदास हैं यारों के माध्यम से अपनी बात रखी। रांची के कवि कुमार बृजेन्द्र ने अपनी रचना पढ़ने के साथ-साथ मंच संचालन किया। इस मौके पर निदेशक बीएन शुक्ला, एके चक्रवर्ती, कस्तूरी महिला सभा की अध्यक्ष मीता सरन, अलकनंदा चक्रवर्ती सहित अन्य मौजूद थे।

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