ट्रेंडिंग न्यूज़

Hindi News झारखंड रांचीमहिला और उसके तीन बच्चों को जलाकर मारने की सीआईडी जांच होगी

महिला और उसके तीन बच्चों को जलाकर मारने की सीआईडी जांच होगी

झारखंड हाईकोर्ट ने पुलिस की कार्यशैली पर फिर एक बार सवाल उठाते हुए कहा है कि राज्य की पुलिस जघन्य आपराधिक मामलों की जांच पेशेवर तरीके से नहीं कर रही...

महिला और उसके तीन बच्चों को जलाकर मारने की सीआईडी जांच होगी
हिन्दुस्तान टीम,रांचीThu, 15 Oct 2020 03:06 AM
ऐप पर पढ़ें

झारखंड हाईकोर्ट ने पुलिस की कार्यशैली पर फिर एक बार सवाल उठाते हुए कहा है कि राज्य की पुलिस जघन्य आपराधिक मामलों की जांच पेशेवर तरीके से नहीं कर रही है। पुलिस लापरवाही बरत रही है और आरोपियों को ही बचाने का प्रयास करती है। केस डायरी, जांच और सुपरविजन रिपोर्ट में काफी असमानता रहती है, इससे प्रतीत होता है कि राज्य की पुलिस पेशेवर नहीं है।

जस्टिस आनंद सेन ने गिरिडीह जिले के धनवार थाना क्षेत्र में एक महिला और उसके तीन नाबालिग बच्चों को जलाकर मार दिए जाने की जांच रिपोर्ट देखने के बाद यह टिप्पणी की। अदालत ने डीजीपी को इस मामले की सीआईडी जांच कराने का आदेश देते हुए केस के जांच अधिकारी और सुवरविजन करने वाले अधिकारी पर कार्रवाई करने और भविष्य में उन्हें किसी मामले की जांच और सुपरविजन नहीं करने का निर्देश दिया। अदालत ने इस मामले में डीजीपी को भी तलब किया और बताया कि पुलिस किस लापरवाही से जांच कर रही है।

इस संबंध में महिला के पिता ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी। इसमें कहा गया है कि उनकी बेटी और उसके तीन नाबालिग बच्चों को जून 2020 में जलाकर मार दिया गया। इसके बाद उन्होंने पति और पांच अन्य लोगों के खिलाफ हत्या की प्राथमिकी दर्ज करायी थी, लेकिन पुलिस मामले की सही जांच नहीं कर रही है। किसी की भी गिरफ्तारी नहीं हुई है। आरोपी खुलेआम घूम रहे हैं और उन्हें धमका भी रहे हैं। पुलिस से शिकायत के बाद भी कोई कार्रवाई नहीं की जा रही है।

कोर्ट ने सुनवाई के दौरान गिरिडीह एसपी से पूछा कि नामजद आरोपियों को गिरफ्तार क्यों नहीं किया गया है। आरोपी खुलेआम घूम रहे हैं और गवाहों को धमकी दे रहे हैं। ऐसे में पुलिस क्यों नहीं कार्यवाही कर रही है। एसपी ने बताया कि इस मामले के सुपरविजन के दौरान एसडीपीओ ने यह पाया कि उक्त महिला का किसी अन्य पुरुष के साथ प्रेम संबंध था, जिसके कारण पति-पत्नी का आपस में झगड़ा हुआ था और उसने आत्महत्या कर ली थी। अदालत ने पूछा कि इस बात का उल्लेख मुख्य केस डायरी में क्यों नहीं किया गया है। तो यह बताया गया कि इसका उल्लेख सुपरविजन नोट में किया गया है और पूरक केस डायरी में सुपरविजन नोट के आधार पर इसे अंकित भी किया गया है। अदालत ने इस पर नाराजगी जाहिर की और इस तरह के अनुसंधानकर्ता और सुपर विजन करने वाले पदाधिकारियों के खिलाफ अविलंब कार्रवाई करने की बात कही।

इसके बाद अदालत ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से डीजीपी को तलब किया। डीजीपी उपस्थित हुए और अदालत से कहा कि इसकी सीआईडी जांच करायी जाएगी। अदालत ने मौजूदा अनुसंधानकर्ता और सुपरविजन करने वाले पुलिस पदाधिकारी के खिलाफ इस तरह के गंभीर मामले का अनुसंधान सही तरीके से नहीं करने के कारण उनके खिलाफ कार्रवाई करने का निर्देश दिया। जब तक कार्यवाही पूरी नहीं कर ली जाती, तब तक इन्हें किसी भी प्रकार की जांच से अलग रखने का निर्देश देते हुए अदालत ने याचिका निष्पादित कर दी।

इन मामलों में भी कोर्ट ने उठाया है सवाल

1. हजारीबाग में एक नाबालिग लड़की को एसिड पिलाने के मामले में नामजद आरोपी को गिरफ्तार नहीं किया गया है। इसमें पुलिस की रिपोर्ट को देखते हुए कोर्ट ने डीजीपी को तलब किया था और पुलिस की कार्यशैली की जानकारी दी थी। जिला जज से भी इस मामले में रिपोर्ट मांगी गई है। पुलिस ने आरोपी को गिरफ्तार नहीं किया, लेकिन पॉलिग्राफी टेस्ट करा रही है।

2. गिरिडीह जिले में नाबालिग की जलाकर हत्या करने के मामले की जांच में पुलिस की लापरवाही देखते हुए हाईकोर्ट ने एसआईटी जांच कराने का निर्देश दिया। अदालत ने इस मामले में पुलिस की कार्यशैली पर सवाल उठाते हुए डीजीपी को इसकी जांच की मॉनटिरिंग करने का निर्देश दिया है। कोर्ट ने इस मामले में पुलिस के खिलाफ कई गंभीर टिप्पणी भी की है।

हाइकोर्ट का आदेश :

-मामले से जुड़े आइओ और सुपरविजन पदाधिकारी पर कार्रवाई का आदेश

-उन्हें दूसरे मामले की जांच और सुपरविजन नहीं देने का निर्देश

कोर्ट की टिप्पणी

-राज्य की पुलिस पेशेवर तरीके से नहीं करती जांच

-कई मामलों में नामजद आरोपी को गिरफ्तार नहीं करती

-केस डायरी भी सही तरीके से नहीं लिखा जाता

-लापरवाह पुलिसवालों पर कार्रवाई करें डीजीपी

हिन्दुस्तान का वॉट्सऐप चैनल फॉलो करें