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बाल विवाह कुपोषण की जननी, रोकथाम चुनौती : रिंकू

मिसेज इंडिया रिंकू भगत ने कहा है कि कुपोषण समाज के लिए बड़ी चुनौती है। सिर्फ सरकारी योजना से इस समस्या का समाधान नहीं हो सकता। इसके लिए सभी को जागरूक होने की जरूरत है। भगत सोमवार को यहां स्वयंसेवी...

बाल विवाह कुपोषण की जननी, रोकथाम चुनौती : रिंकू
हिन्दुस्तान टीम,रांचीTue, 17 Oct 2017 12:11 AM
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मिसेज इंडिया रिंकू भगत ने कहा है कि कुपोषण समाज के लिए बड़ी चुनौती है। सिर्फ सरकारी योजना से इस समस्या का समाधान नहीं हो सकता। इसके लिए सभी को जागरूक होने की जरूरत है। भगत सोमवार को यहां स्वयंसेवी संस्था आशा और लोक प्रेरणा केन्द्र के संयुक्त तत्वावधान में कुपोषण पर आयोजित कार्यशाला को संबोधित कर रही थी। कार्यशाला का विषय था कुपोषण से मुक्ति : स्वास्थ्य, स्वच्छता और पोषण है शक्ति। भगत ने कहा कि बाल विवाह कुपोषण की जननी है, इसलिए 18 साल उम्र होने से बच्ची की शादी नहीं करें। साथ में यह भी ध्यान रखें कि 20 साल की उम्र से पहले बच्ची मां नहीं बने। इसके अलावा गर्भवती महिला के खान-पान पर पूरा ध्यान देना चाहिए। बच्चे को अपना दूध पिलाना चाहिए, क्योंकि मां का दूध अमृत के समान है। कार्यशाला को संबोधित करती हुई आशा की पूनम टोप्पो ने कहा कि आंगनबाड़ी केन्द्रों के माध्यम से कुपोषित बच्चों को पौष्टिक आहार देने की व्यवस्था है, लेकिन सरकार की ओर से समय पर खाद्यान्न उपलब्ध नहीं कराया जाता है। उनकी संस्था द्वारा कराए गए सर्वे में लालखटंगा पंचायत में 31 कुपोषित बच्चे मिले हैं। एक पंचायत में जब इतने बच्चे कुपोषित हैं तो राज्यभर में कितने बच्चे कुपोषित होंगे, इसका अंदाजा लगाया जा सकता है। रेड जोन के कुपोषित बच्चों का समय पर इलाज नहीं होता है, जिसके कारण उनकी मृत्यु हो जाती है। कार्यशाला में संस्था की ओर से एक कमेटी बनायी गई है। यह कमेटी महिला एवं बाल विकास विभाग के अधिकारियों से मिलकर कुपोषण से मुक्ति के लिए सुझाव देंगी। कार्यशाला को लोक प्रेरणा केन्द्र की मौसमी बाखला सहित कई दूसरे वक्ताओं ने भी संबोधित किया। इस कार्यशाला में रांची, खूंटी और चतरा जिले की आंगनबाड़ी सेविकाएं, सहायिकाएं और समाजिक संगठनों के प्रतिनिधि उपस्थित थे।

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