Career Opportunities in Anthropology Discussed at Central University of Jharkhand Event मानव विज्ञान व जनजातीय अध्यक्ष में करियर के अवसरों की मिली जानकारी, Ranchi Hindi News - Hindustan
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मानव विज्ञान व जनजातीय अध्यक्ष में करियर के अवसरों की मिली जानकारी

रांची, केंद्रीय विश्वविद्यालय, झारखंड में मानव विज्ञान और जनजातीय अध्ययन विभाग ने जनजातीय गौरव वर्ष समारोह के तहत विशेष व्याख्यान आयोजित किया। मुख्य वक्ता डॉ राजकिशोर महतो ने मानव विज्ञान में करियर के...

Newswrap हिन्दुस्तान, रांचीFri, 12 Sep 2025 06:07 PM
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मानव विज्ञान व जनजातीय अध्यक्ष में करियर के अवसरों की मिली जानकारी

रांची, विशेष संवाददाता। केंद्रीय विश्वविद्यालय, झारखंड (सीयूजे) के मानव विज्ञान और जनजातीय अध्ययन विभाग (डीएटीएस) की ओर से जनजातीय गौरव वर्ष समारोह (2024-2025) के अंतर्गत शुक्रवार को- मानव विज्ञान और जनजातीय अध्ययन में करियर, विषय पर विशेष व्याख्यान आयोजित किया गया। मुख्य वक्ता भारतीय मानव विज्ञान सर्वेक्षण (रांची फील्ड स्टेशन) के प्रमुख डॉ राजकिशोर महतो थे। अध्यक्षता संस्कृति अध्ययन संकाय के डीन व डीएटीएस के प्रमुख प्रो रवींद्रनाथ सरमा ने की। व्याख्यान भारतीय मानव विज्ञान सर्वेक्षण के क्षेत्रीय केंद्र, लुप्तप्राय भाषा केंद्र, स्वदेशी ज्ञान एवं सतत विकास केंद्र, समान अवसर प्रकोष्ठ और राष्ट्रीय कैडेट कोर, सीयूजे के सहयोग से आयोजित था।

डॉ राजकिशोर महतो ने मानव विज्ञान में करियर के अवसरों की जानकारी दी। उन्होंने विश्वविद्यालयों, कॉलेजों, एएनएसआई, आईसीएसएसआर, यूनेस्को और विश्व स्वास्थ्य संगठन के माध्यम से अनुसंधान और शिक्षा जगत में संभावनाओं के बारे में बताया। उन्होंने सरकारी निकायों, गैर-सरकारी संगठनों और जनजातीय अनुसंधान संस्थानों में मानवविज्ञानी की भूमिकाओं को भी बताया, जहां विकास कार्यक्रमों, नीति नियोजन और जनजातीय कल्याण में योगदान का अवसर मिलता है। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण, संग्रहालयों, अभिलेखागारों और सांस्कृतिक विरासत प्रबंधन में भी अवसर उपलब्ध हैं, खासकर सांस्कृतिक पर्यटन के विकास के साथ। इसके अलावा, फोरेंसिक और चिकित्सा मानव विज्ञान कानून प्रवर्तन, आपदा पीड़ितों की पहचान और जन स्वास्थ्य में करियर के विकल्प प्रदान करते हैं। कहा कि बहुराष्ट्रीय कंपनियां यूएक्स अनुसंधान, उपभोक्ता अध्ययन और संगठनात्मक संस्कृति के लिए मानवविज्ञानियों को नियुक्त कर रही हैं। डॉ महतो ने अवलोकन, साक्षात्कार, प्रश्नावली, अनुसूचियाँ और एमिक व एटिक जैसे व्याख्यात्मक दृष्टिकोणों पर चर्चा की। उन्होंने ज्ञान और आत्मविश्वास बढ़ाने के लिए समूह चर्चा में भाग लेने के लिए प्रोत्साहित किया। प्रो रवींद्रनाथ सरमा ने कहा कि मानवशास्त्र पौराणिक कथाओं, विचारधारा और तकनीक से संबंधित है, और समावेशन को बढ़ावा देता है, जहां पौराणिक कथाओं को एक जीवंत सांस्कृतिक आख्यान के रूप में देखा जाता है अन्य संकाय सदस्यों ने भी अपने अनुभव साझा किए और विद्यार्थियों को विकास के लिए संसाधनों का उपयोग करने के लिए प्रेरित किया। कार्यक्रम में प्रो सुचेता सेन चौधरी, डॉ शमशेर आलम, डॉ एम रामकृष्णन व अन्य शिक्षकगण उपस्थित थे।

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