पूंजीपतियों के लिए नहीं छीनने दी जाएगी गरीबों की जमीन: हेमंत
पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कहा है कि पूंजीपतियों के लिए प्रदेश के गरीबों और आदिवासियों की जमीन नहीं छीनने दी जाएगी। इसके लिए लंबी लड़ाई चलेगी। उन्होंने प्रदेश की जनता को इस लंबी लड़ाई में साथ...
पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कहा है कि पूंजीपतियों के लिए प्रदेश के गरीबों और आदिवासियों की जमीन नहीं छीनने दी जाएगी। इसके लिए लंबी लड़ाई चलेगी। उन्होंने प्रदेश की जनता को इस लंबी लड़ाई में साथ आने के लिए ललकारा। हेमंत सोरेन झारखंड मुक्ति मोर्चा की ओर से राजभवन के सामने आयोजित प्रदर्शन के बाद आयोजित धरने को संबोधित कर रहे थे। हेमंत सोरेन ने कहा कि सरकार कॉरपोरेट घरानों के लिए यहां के आदिवासियों की जमीन छीनकर उन्हें गरीबी, भूखमरी और विस्थापन के लिए मजबूर कर रही है। इसी के लिए सरकार ने जमीन अधिग्रहण कानून में संशोधन कर सामाजिक प्रभाव आकलन का प्रावधान लागू करने की पृष्ठभूमि तैयार की है। विधानसभा के पटल पर झामुमो के विरोध के बाद भी ऐसा किया गया। लेकिन झामुमो इस संशोधन को लागू नहीं होने देगी। उन्होंने राज्यपाल से भी इस संशोधन विधेयक को लौटाने की मांग की। धरने को संबोधित करते हुए बहरागोड़ा के विधायक कुणाल षाड़ंगी ने कहा कि जमीन अधिग्रहण कानून में संशोधन आदिवासी, मूलवासी, दलित और अल्पसंख्यक विरोधी है। यह झारखंड में विस्थापन के दंश को और बढ़ाएगा। विस्थापन के कारण राज्य की आबादी पहले से ही प्रभावित हुई है। डुमरी के विधायक जगन्नाथ महतो ने कहा कि राज्य सरकार को पहले विस्थापित हुए आदिवासियों-मूलवासियों का पुनर्वास करना चाहिए। मुआवजा देना चाहिए। इसके बाद ही अधिग्रहण के लिए नई जमीन लेनी चाहिए। इसके बजाय सरकार पूंजीपतियों के इशारे पर गरीबों का जमीन छीन रही है। धरने को पूर्व मंत्री नलिन सोरन, महासचिव सुप्रीयो भट्टाचार्य और विनोद पांडेय समेत कई विधायकों ने भी संबोधित किया।