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पोर्टल से न व्यापारी जुड़ रहे हैं और न ही किसान अपने उत्पाद ला रहे बाजार समिति परिसर

किसानों की आय को दोगुना करने के लिए शुरू किया गया ई-नाम (राष्ट्रीय कृषि बाजार) की गति राज्य में सुस्त है। तीन साल के बाद भी न किसान इससे अपना व्यापार करने की रुचि दिखा रहे हैं और न ही व्यापारी की...

पोर्टल से न व्यापारी जुड़ रहे हैं और न ही किसान अपने उत्पाद ला रहे बाजार समिति परिसर
हिन्दुस्तान टीम,रांचीTue, 17 Dec 2019 11:31 PM
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किसानों की आय को दोगुना करने के लिए शुरू किया गया ई-नाम (राष्ट्रीय कृषि बाजार) की गति राज्य में सुस्त है। तीन साल के बाद भी न किसान इससे अपना व्यापार करने की रुचि दिखा रहे हैं और न ही व्यापारी की इसमें किसी प्रकार की दिलचस्पी है। केंद्रीय अधिकारी की सख्ती और राज्य स्तर के सभी प्रयोग अभी तक नाकामयाब दिख रहे हैं। नवंबर 2019 तक के आकड़ों के मुताबिक तीन साल में मात्र एक लाख 71 हजार किसान और 1812 व्यापारी ही ई-नाम के पोर्टल से जुड़ पाए हैं। जो जुड़े हैं वे भी इससे व्यापार नहीं कर रहे हैं। सरकारी आकड़ों के मुताबिक राज्य में कुल 28 लाख किसान और 10 हजार कृषि उपज की खरीदारी करने वाले व्यापारी हैं। हर राज्य से हैं पीछेदेश के लगभग 18 राज्यों में ई-नाम को शुरू किया गया है। झारखंड लगभग सभी राज्यों से पीछे चल रहा है। ओड़िसा और पुडुचेरी को छोड़ दें तो व्यापारियों के रजिस्ट्रेश में झारखंड 15वें स्थान पर है। सबसे अधिक 33271 व्यापारियों का रजिस्ट्रेशन उत्तर प्रदेश में हुआ है। इसके अलावा मध्य प्रदेश में 19950, हरियाणा में 10027, छत्तीसगढ़ में 3020, पश्चिम बंगाल में 2013 और उत्तारखंड में 4550 व्यापारी ई-नाम पोर्टल से जुड़कर व्यापार कर रहे हैं। राज्य स्तर पर नहीं की जा रही पहल राज्य में ई-नाम के संचालन की जिम्मेदारी मार्केटिंग बोर्ड को दी गई है। केंद्रीय स्तर से लागातार हिदायत के बाद भी राज्य स्तर से इसे बेहतर बनाने की दिशा में होता नहीं दिख रहा। निर्देश तो जारी किए जाते हैं लेकिन उनका पालन हुआ या नहीं इसकी सुध लेने वाला कोई नहीं है। इसी का नतीजा है कि पिछले साल ही पोर्टल से पांच हजार व्यापारियों को जोड़ने का लक्ष्य रखा गया था लेकिन यह लक्ष्य इस साल भी पूरा नहीं हो सका। 10 बजार समितियों में कृषि उपज को बेहतर बनाने के लिए मशीनें लगाई गई हैं लेकिन कई जगह उनका ताला तक नहीं खुलता। ये हैं राज्य में ई-नाम की सुस्ती के पांच कारण 1.ई-नाम को लेकर मार्केटिंग बोर्ड की निष्क्रियता 2. बाजार समितियों में ई-नाम को लेकर उदासीनता3. बाजार समिति परिसर में किसानों का नहीं पहुंच पाना4.एपीएमसी एक्ट का लागू नहीं हो पाना5. किसानों और व्यापारियों में जागरुकता का अभावआकड़ों में ई नाम-04 अंतरराज्यीय मंडी हुआ है अभी तक -2.35 करोड़ का कुल व्यापार हुआ है अभी तक -13 मंडियों में शुरू हो सका है अंतर मंडी व्यापार

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