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बीएयू में आधुनिक बीज परीक्षण प्रयोगशाला की होगी स्थापना

रांची में बीरसा कृषि विश्वविद्यालय की वार्षिक बैठक में खरीफ और रबी फसलों के बीज की समीक्षा की गई। कृषि निदेशक ने आधुनिक बीज परीक्षण प्रयोगशाला की स्थापना पर जोर दिया। बीएयू के कुलपति ने राज्य में...

बीएयू में आधुनिक बीज परीक्षण प्रयोगशाला की होगी स्थापना
Newswrapहिन्दुस्तान टीम,रांचीMon, 12 Aug 2024 01:41 AM
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रांची, विशेष संवाददाता। बिरसा कृषि विश्वविद्यालय (बीएयू) के बीज परिषद की वार्षिक बैठक कुलपति डॉ एससी दुबे की अध्यक्षता में हुई। इसमें विभिन्न खरीफ व रबी फसलों के प्रजनक और प्रमाणित/सत्यापित बीज के प्रदर्शन की समीक्षा की गई। आगे की रणनीति भी तय की गई। कृषि निदेशक डॉ कुमार ताराचंद ने कहा कि बीएयू आधुनिकतम सुविधाओं से युक्त बीज परीक्षण प्रयोगशाला की स्थापना के लिए शीघ्र प्रस्ताव लाए, राज्य सरकार इसके लिए पर्याप्त राशि मुहैया कराएगी। बीज क्रय, वितरण और बोआई के पूर्व इस प्रयोगशाला में बीज गुणवत्ता की जांच होने से फसल नुकसान की संभावना न्यूनतम रहेगी। उन्होंने कहा कि झारखंड की 80 प्रतिशत आबादी ग्रामीण क्षेत्रों में रहती है और राज्य की दो तिहाई आबादी कृषि कार्यों पर निर्भर है, इसलिए राज्य के लिए कृषि से ज्यादा महत्वपूर्ण कुछ भी नहीं है।

उन्होंने बीएयू में देश की अग्रणी बीज कंपनियों का एक सम्मेलन आयोजित करने पर बल दिया, ताकि राज्य और केंद्र की विभिन्न योजनाओं के तहत नि:शुल्क और सब्सिडी पर वितरित किए जाने के लिए गुणवत्तायुक्त बीज की यथासमय उपलब्धता सुनिश्चित की जा सके। उन्होंने कहा कि बीएयू को आसपास के राज्यों के लिए अनुशंसित फसल प्रभेदों की उपयुक्तता का अपने यहां परीक्षण कर हर 6-8 महीने पर राज्य सरकार को अनुशंसा उपलब्ध करानी चाहिए। अलग राज्य बनने के 24 वर्षों बाद भी झारखंड अपनी खाद्यान्न आवश्यकताओं के मामले में आत्मनिर्भर नहीं हो पाया है। कृषि निदेशक ने कहा कि राज्य में स्थित आईसीएआर के संस्थान, बीएयू, राज्य सरकार और यहां कार्यरत अग्रणी स्वयंसेवी संगठन बेहतर तालमेल और समन्वय से कार्य करेंगे, तभी झारखंड में कृषि और किसानों के परिदृश्य में अपेक्षित बदलाव हो पाएगा।

बीएयू के कुलपति डॉ एससी दुबे ने कहा कि राज्य में एक सुदृढ़ बीज नीति लागू करने की आवश्यकता है, जिसमें उत्पादन से लेकर विपणन और उठाव तक की रणनीतियां हों। मौसम परिवर्तन की स्थिति में कई विकल्पों का प्रावधान हो। प्रजनक बीज कहां से आएगा, आधार बीज और प्रमाणित बीज का उत्पादन कौन-सी एजेंसियां करेंगी और सूखा पड़़ने पर किस जिले में किस फसल के किस प्रभेद का इस्तेमाल होगा, इन सबका प्रावधान बीज नीति में हो। कुलपति ने कहा कि विश्वविद्यालय सीड हेल्थ टेस्टिंग लैब की स्थापना का प्रस्ताव शीघ्र सरकार को समर्पित करेगा। नई रिलीज पॉलिसी के तहत अब सिर्फ स्ट्रेस टोलरेंट और पोषक तत्वों से भरपूर बायो फोर्टिफाइड फसल प्रभेदों को ही रिलीज किया जाएगा।

बीएयू के बीज एवं प्रक्षेत्र निदेशक डॉ शंभुनाथ कर्मकार ने बताया कि गत वर्ष विभिन्न खरीफ और रबी फसलों के- 6368 क्विंटल प्रजनक, आधार एवं प्रमाणित/सत्यापित बीज उत्पन्न किए गए। वर्तमान खरीफ और आगामी रबी मौसम में सीड हब का क्षेत्र मिलाकर विभिन्न श्रेणी और किस्मों के- 9312 क्विंटल बीज उत्पादन का लक्ष्य रखा गया है। भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान, हजारीबाग के विशेष कार्य पदाधिकारी डॉ विशाल नाथ, बीएयू के अनुसंधान निदेशक डॉ पीके सिंह, प्रसार शिक्षा निदेशक डॉ जगरनाथ उरांव तथा डॉ रवि कुमार ने भी अपने सुझाव दिए।

कार्यक्रम में एनजीओ प्रतिनिधि फादर बिपिन पानी व एफपीओ प्रतिनिधि अंजलि लकड़ा और देवी चरण गोप को सम्मानित किया गया। मौके पर डॉ रामप्रसाद मांझी सहित अन्य कृषि वैज्ञानिक मौजूद थे।

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